जयपुर

भूमि संरक्षण (land conservation) के लिए राजस्थान के प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी संयुक्त राष्ट्र (united nations) के पुरस्कार से सम्मानित

जयपुर। राजस्थान के प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी को भूमि संरक्षण (land conservation) का दुनिया का सर्वोच्च पुरस्कार लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड से नवाजा गया है। गत 28 सितंबर को चीन के बून में आयोजित ऑनलाइन वैश्विक समारोह में अंतरराष्ट्रीय श्रेणी के तहत पारिवारिक वानिकी के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो. ज्याणी की उपलब्धि पर वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है।

श्रीगंगानगर जिले की रायसिंहनगर तहसील के गांव 12 टीके निवासी और वर्तमान में बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रो. ज्याणी ने बताया कि 17 जून 2021 को अमेरिकी देश कोस्टारिका में विश्व मरुस्थलीकरण दिवस के वैश्विक आयोजन में भूमि संरक्षण में अति विशिष्ट योगदान हेतु उन्हें विजेता घोषित किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र (United nations) संघ के भूमि संरक्षण सम्बंधी इकाई यूएनसीसीडी द्वारा प्रति दो वर्ष के अंतराल पर भूमि संरक्षण में अति विशिष्ट योगदान हेतु दुनियाभर से किसी एक व्यक्ति या संगठन को यह पुरस्कार दिया जाता है। मई 2022 में अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट में जब सदस्य देशों के वैश्विक सम्मेलन आयोजित होगा, उसमें प्रो. ज्याणी को विशेष उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया जाएगा और तब हीं उन्हें यह ट्रॉफी प्रदान की जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र की ओर से भूमि बहाली और संरक्षण विधियों में नवाचार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन संस्थाओं, व्यक्तियों को पुरस्कृत किया जाता है, जो पर्यावरण और समुदायों की भलाई को बढ़ावा देते हुए उनके साथ संबंधों को बेहतर बनाते हैं। इसके तहत चीन के सैहानबा फॉरेस्ट को राष्ट्रीय श्रेणी के तहत पुरस्कार दिया गया। अंतरराष्ट्रीय श्रेणी के तहत पारिवारिक वानिकी में राजस्थान के प्रो. श्यामसुंदर ज्याणी को पुरस्कार के लिये चुना है।

क्यों मिला पुरस्कार
21वीं सदी की सबसे गंभीर चुनौती जलवायु परिवर्तन है, जिसे लेकर स्थानीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सरकारें व संगठन चिंतित हैं। इस सदी की शुरुआत में जहां दुनिया ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों के बारे में चर्चा शुरू की, वहीं समाजशास्त्र के प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी ने अपने समय व संसाधनों के बलबूते इस चुनौती से निपटने हेतु पेड़ पनपाने व लोगों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरुक करना शुरू कर दिया।

पिछले 20 वर्षों से गांव दर गांव लोगों, स्कूली विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच जाकर उन्हें पेड़ व पर्यावरण के बारीक पहलुओं के बारे में समझाने और अपनी सरकारी तनख्वाह से पश्चिमी राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि में लाखों पेड़ पनपाने वाले ज्याणी के इन धरातलीय प्रयासों को आखरिकार दुनिया ने पहचाना और संयुक्त राष्ट्र संघ ने उन्हें बेहद प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान हेतु चुना।

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