सिडनी टेस्टः मैच को ड्रॉ कराना भारतीय टीम की जीत के समान
टी-20 के दौर में टेस्ट मैच का ड्रॉ होना तो दूर, यह पूरे 5 दिन चले यही बड़ी दुर्लभ बात है। सिडनी क्रिकेट टेस्ट ऐसा ही एक दुर्लभ मुकाबला रहा। यह एक यादगार मैच के रूप मे इतिहास में दर्ज होगा। वैसे तो मैच का ड्रॉ होना दोनों टीमों के लिए बराबर की स्थिति है पर खिलाड़ियों की लगातार चोटों के सिलसिले के चलते मैच को पूरी ताकत से बचाते हुए ड्रॉ करा ले जाना भारतीय टीम के लिए जीत जैसी ही प्रतीत होगी।
फॉर्म मे लौटे स्मिथ और कंगारू बल्लेबाजी ने छुआ 300 का स्तर
पूरी शृंखला मे कंगारू 200 रन बनाने के लिये तरस रहे थे परंतु सिडनी में तारणहार स्मिथ का बल्ला चमका और उनके साथ मार्नस लाबुशेन भी बेहतरीन प्रदर्शन करते दिखे। उन दोनों की साझेदारी के चलते कंगारू टीम ने 300 का आंकडा दोनों पारियों मे छुआ। स्मिथ का फॉर्म में आना शतक लगाना ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिये एक अच्छी खबर है!
रन आउट और बहुत से कैच छोड़े गये
एक दिवसीय और टी-20 मैचों के दौर में डायरेक्ट हिट आम बात सी बन गयी है। खिलाड़ी सीधा थ्रो विकेट बिखेरने के लिए ही करते हैं और उसका मुजाहिरा टेस्ट मैच में भी भरपूर हो रहा है। स्टीव स्मिथ की शतकीय पारी का अंत जड़ेजा द्वारा बेहतरीन रन आउट के जरिये हुआ। कंगारुओं ने इसका जवाब एक, दो नहीं बल्की तीन रनआउट से दिया। भारतीय बल्लेबाज भी इसके लिए जिम्मेदार थे पर कंगारूओं के शानदार डायरेक्ट हिट को इसका श्रेय देना ही पड़ेगा।
इसके साथ ही एक विरोधाभास भी नजर आया । कई कैच छूटे और यह सिलसिला अब एक बीमारी का रूप धारण कर रहा है। भारत ने लाबुशेन और ग्रीन को लगातार मौके दिये तो ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी दिन 5 कैच छोड़कर भारत को तोहफा वापस किया। अश्विन और हनुमा विहारी को मिले जीवनदान कंगारू टीम को भारी पड़े और शायद जीत न मिलने का प्रमुख कारण बने ।
खेलभावना और ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलियन टीम और उनके समर्थक खेल भावना के प्रति हमेशा ही उदासीन रहे हैं । सिराज से दर्शकों द्वारा की गई गाली-गलौच, टिम पेन का अश्विन के साथ वार्तालाप और स्टीव स्मिथ का पंत के बैटिंग गार्ड को मिटाने कि कोशिश.. ये सारे उदाहरण इस बदनाम इतिहास कि पुनरावृत्ति रहे हैं और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को इस संदर्भ में ठोस कदम उठाने चाहिए।
चोटिल होने का सिलसिला जारी,अश्विन और विहारी बने तारणहार
भारतीय टीम को अब चोटों से बचना होगा। इस मुकाबले मे पंत की कोहनी, जड़ेजा की उंगली ऑस्ट्रेलियन गेंदबाजी का शिकार हुई और आखिरी सत्र में मैच बचाने आये विहारी को हैमस्ट्रिंग खिंचाव के कारण दौड़ने में परेशानी रही। इसके बावजूद उन्होंने अश्विन के साथ लगभग 45 ओवर्स खेलकर मैच बचाया, यह काबिले तारीफ बात रही।
भारतीय टीम में फिर बदलाव होंगे और यह लगभग भारत की ए टीम बन गई है पर हर एक खिलाड़ी ने अपना शत-प्रतिशत देकर टीम का मान बढ़ाया है। आशा करते है ब्रिस्बेन में जो भी आयेगा वह इसी परंपरा को जारी रखेगा। यह ऑस्ट्रेलियाई दौरा भारतीयों के लिए एक यादगार सीरीज बनकर उभर रहा है।