जयपुर। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अल्पमत मे आ सकती है। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बगावत करते हुए साफ कर दिया है कि अब वह सरकार का हिस्सा नहीं हे।उनके साथ कांग्रेस के 30 और कुछ निर्दलीय विधायक हैं और वे कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं जा रहे हैं।
रविवार सुबह से ही राजधानी जयपुर में भारी राजनीतिक गहमागहमी रही। दिनभर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा कि पायलट के साथ कितने विधायक हैं। यह तस्वीर रात नौ बजे साफ हुई जबकि पायलट खेमे की ओर से दावा किया गया कि उनके साथ 30 कांग्रेस के विधायक हैं।
इधर मुख्यमंत्री निवास पर शाम से ही विधायकों का डेरा जमने लगा। देर रात तक विधायक और मंत्री मुख्यमंत्री निवास पर आते-जाते रहे। सभी विधायकों का कहना था कि उनकी सरकार पर कोई खतरा नहीं है और बहुमत के लिए जरूरी विधायकों से ज्यादा विधायक उनके साथ हैं।
गहलोत सरकार पर संकट की स्थिति शाम को सचिन पायलट की पत्नि सारा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्वीट से भी साफ होने लगी थी। राहुल गांधी और सचिन पायलट के पुराने मित्र और हाल ही में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने में कामयाब रहे राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को अशोक गहलोत के द्वारा कांग्रेस पार्टी में ही साइडलाइन करने और उनका अपमान करने का आरोप लगाया। ज्योतिरादित्य ने यह ट्वीट अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को टैग किया।
दूसरी तरफ सारा पायलट ने ट्वीट करके कहा कि जिस व्यक्ति ने 5 साल तक गांव-ढाणी तक अपनी एडियां रगड़ी, उसके साथ आज ऐसा बर्ताव किया जा रहा है। एक अन्य ट्वीट में सारा ने लिखा कि जब हम दिल्ली आते हैं तो अच्छे-अच्छे जादूगरों का जादू खत्म हो जाता है।
इधर जिन तीन विधायकों के खिलाफ एसओजी ने मुकद्दमा दर्ज किया है, उन तीनों ने गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्यसभा में जरूरत के वक्त वोट लेने के बाद उनको कांग्रेस में भुला दिया गया है।
भाजपा की ओर से इस मामले में कहा गया है कि यह कांग्रेस के अंदर का मामला है और मुख्यमंत्री बेवजह इसको भाजपा के सिर मढ़ना चाहते हैं। फिलहाल जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के 30 से 40 विधायक गुरुग्राम में ठहरे हुए हैं और खुद सचिन पायलट भी देर रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा से मिल चुके हैं।
इस मामले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा कि क्या सत्ता खोने का भय बुद्धि को हर लेता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के स्वयं और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सहित अन्य विधायकों और मंत्रियों को पुलिस द्वारा नोटिस दिलवाकर तलब कराना बेहद हास्यास्पद लगता है। अब तो यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण है।
भाजपा को बार-बार बीच में घसीटना जनता का ध्यान बंटाने और खुद के लिए सहानुभूति बटोरने जैसा है। इस गहमागहमी के बाद कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी सतर्क हो गया है। दिल्ली से राजस्थान प्रभारी अविनाश पांड़े व सुरजेवाला को जयपुर भेजा गया है।