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पाक के इस यार देश ने कर दी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की सिफारिश

UNSC Permanent Membership: राजधानी दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन में समापन के बाद हो रही समीक्षा में एक से बढ़ कर एक बातें सामने आ रही हैं, जिन्हे उपलब्धियों के रूप में तो देखा ही जा सकता है ,साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। सदस्य देशों के बीच काफी मतभेदों के बावजूद आम सहमति से दिल्ली घोषणा पत्र जारी करने में मिली कामयाबी के बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में पीएम मोदी के सशक्त नेतृत्व की खूब चर्चाएं हो रही हैं। शिखर सम्मेलन के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) भारत की स्थायी सदस्यता की मांग भी उठा दी है।
इस शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है जिसे प्रधानमंत्री मोदी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। पाकिस्तान समर्थक देश तुर्की ने तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत की दावेदारी का समर्थन कर डाला।
अक्सर देता है भारत विरोधी बयान
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अक्सर भारत विरोधी बयान देने वाले तुर्की के सुर भी अब बदल गए हैं। पाकिस्तान तुर्की को अपना गहरा दोस्त मानता रहा है मगर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत की दावेदारी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनता है तो हमें गर्व होगा। तुर्की के इस बदले हुए रुख पर अंतरराष्ट्रीय जगत में हैरानी भी जताई जा रही है।
भारत को सदस्यता मिली तो हमें गर्व होगा
दुनिया के कई बड़े देश पहले ही भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देने की मांग का समर्थन कर चुके हैं। इन देशों में अमेरिका और फ्रांस जैसे ताकतवर देश भी शामिल है। अब ऐसी ही मांग तुर्की की ओर से भी की गई है जिसे अभी तक पाकिस्तान समर्थक देश माना जाता रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि भारत को यदि सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दी जाती है तो हमें गर्व महसूस होगा।
अंतरराष्ट्रीय जगत में हैरानी
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति के रुख में आयुष बदलाव ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। तुर्की की ओर से कई बार कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर भारत सख्त ऐतराज जता चुका है मगर अब तुर्की का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। गौरतलब है कि तुर्की में भूकंप के समय भारत ने पुराने सारे मतभेदों को भुलाते हुए काफी मदद भी पहुंचाई थी।

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