जयपुर

आधा महीना बीता, नहीं मिला वेतन

जयपुर। नौकरीपेशा लोगों और उनके परिवार को 1 तारीख का इंतजार रहता है। क्योंकि उनके खाते में इसी दिन वेतन आता है, लेकिन यदि आधा महीना बीतने के बाद भी खाते में वेतन नहीं आए तो सोचा जा सकता है कि उनपर कैसी बीतती है। ऐसा यदि एक-दो बार हो जाए तो चलता है, लेकिन हर महीने ऐसा होने लगे तो बर्दाष्त से बाहर हो जाता है।


ऐसा ही कुछ हो रहा है पुरातत्व विभाग के जयपुर के स्मारकों पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ। दो सप्ताह बीतने के बाद भी अभी तक उन्हें वेतन नहीं मिला है। जानकारी में आया है कि आमेर महल, अल्बर्ट हॉल और जंतर-मंतर के अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतन अभी तक उन्हें नहीं मिला है। जबकि अन्य स्मारकों के अधिकारियों-कर्मचारियों को भी एक सप्ताह बाद वेतन नसीब हुआ था।


पुरातत्व अधिकारियों का कहना है कि कुछ वर्षों पूर्व राजधानी के स्मारकों को पुरातत्व विभाग की कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) के साथ मर्ज कर दिया गया था। इस दौरान स्मारकों के सारे काम-काज एडमा करती है, यहां तक कि अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन का भुगतान भी एडमा करती है।

एडमा के अधिकारी-कर्मचारी दुर्भावना के साथ काम कर रहे हैं और वह अपना वेतन व अन्य खर्च तो पहले ले लेते हैं, लेकिन पुरातत्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन के लिए टालते रहते हैं। ऐसा विगत कई महीनों से चल रहा है।

अधिकारियों-कर्मचारियों में इसको लेकर भारी रोष है। अधिकारियों का कहना है कि एडमा के पास जाने के बाद से ही स्मारकों के हाल बदहाल हैं, ऐसे में पुरातत्व विभाग को शहर के स्मारक एडमा से वापस लेकर निदेशालय से ही जोड़ने चाहिए। इसके लिए जल्द ही मांग उठाई जाएगी।वहीं दूसरी ओर एडमा के अधिकारियों का कहना है कि पुरातत्व विभाग के अधिकारी हम पर बेकार के आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों में दम नहीं है। हर महीने वेतन का भुगतान लेट नहीं हो सकता है।


एडमा के कार्यकारी निदेशक (वित्त) नरेंद्र सिंह का कहना है कि ऐसा कभी-कभार हो जाता है। इस महीने एडमा के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारियों व ट्रेजरी के कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटियां थी, इस वजह से स्मारकों का वेतन लेट हो गया है। कुछ स्मारकों को वेतन का भुगतान कर दिया गया है, बाकी बचे स्मारकों का वेतन भी एक-दो दिनों में भिजवा दिया जाएगा। हमारे एडमा के कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन का भुगतान भी इस महीने 7 तारीख तक हो पाया है।

Related posts

खुशखबरी! खुशखबरी! खुशखबरी! कोरोनाकाल में शुद्ध ऑक्सीजन चाहिए तो नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary) आईये, रिसोर्ट, फार्महाउस बनाने के लिए इको सेंसेटिव जोन में वन विभाग (forest Department) की जमीन उपलब्ध

admin

स्मारक टिकटों की कमाई से अपने महल खड़े कर रहे पुरातत्व अधिकारी

admin

शाह ने दिया संकेत, राजस्थान विधानसभा में गहलोत सरकार का तुष्टीकरण होगा प्रमुख मुद्दा

admin