जयपुर। हाथी गांव में चार हाथियों की मौत का मामला सामने आने पर और हाथियों की दुर्दशा पर हेल्प इन सफ़रिंग और एंजेल आइज़ के नेतृत्व में कार्यकतार्ओं और स्थानीय संगठनों ने गुरूवार को अल्बर्ट हॉल पर देशव्यापी डिजिटल विरोध प्रदर्शन किया।
इन ईवेंट्स को ‘हाथीकड़ी’ के इंस्टाग्राम पेज पर दिखाया गया। ट्वीट-ए-थॉन और लाइव इंटरव्यू् सेशंस के रूप में डिजिटल प्रोटेस्ट भी हुआ। आयोजकों ने सपोटर्स से अनुरोध किया कि वे अपने घरों में एक मोमबत्ती जलाएं और मृत हाथियों के लिए 2 मिनट का मौन रखें। उसका वीडियो अपने सोशल मीडिया पेज पर अपलोड भी करें।
सोशल मीडिया पर हुए लाइव इंटरव्यू हाथीकड़ी के इंस्टाग्राम पेज पर लाइव इंटरव्यू की एक श्रृंखला आयोजित की गई थी। हाथी गांव में हाथियों की स्थिति के बारे में चर्चा करने के लिए एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट, वकील और हाथी प्रेमी एक साथ आए। इंटरव्यू का संचालन हेल्प इन सफरिंग की सह-आयोजक मरियम अबुहैदरी ने किया।
हेल्प इन सफरिंग की मैनेजिंग ट्रस्टी, टिम्मी कुमार ने कहा कि हाथियों को गांव में नहीं, जंगल में रहना चाहिए। लोगों को एक साथ आने और हाथियों की स्थिति पर विरोध जताने की आवश्यकता है। हाथियों को जू में नहीं रखना चाहिए और ना ही सर्कस में, शादी समारोह, पर्यटकों के लिए सवारी के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
कंपैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन और वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की को-फाउंडर ट्रस्टी, सुपर्णा गांगुली ने कहा कि हाथियों को प्रताड़ित करके प्रशिक्षण देना और नियंत्रित करना बेहद सामान्य माना जाता है। वे जंगली जानवर हैं, उन्हें घरेलू जानवर नहीं मानना चाहिए।
हाथियों को कैसे पकड़ा और प्रशिक्षित किया जाता है, इस बारे में बताते हुए, एनिमल राइट्स लॉयर आलोक हिसारवाला गुप्ता ने कहा कि अधिकांशत: असम के गहन जंगलों में हाथी के ऐसे बच्चे की तलाश की जाती जो झुंड से अलग हो गया हो और इसे पकड़ लिया जाता है। इस हाथी को पीट-पीटकर तब तक प्रशिक्षित कर दिया जाता है, जब तक उसे एहसास नहीं हो जाता है कि वह महावत के अधीन है।
राजस्थान हाई कोर्ट के एडवोकेट गोपाल सिंह बारेठ ने कहा कि हाथी गांव में हाथियों के कंजर्वेशन और प्रोटेक्शन के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई थी। कई हाथियों को ट्यूबरक्यूलोसिस, चोट ग्रस्त पैर, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से त्रस्त, अंधापन आदि से पीड़ित पाया गया। हाथियों को उचित चिकित्सा देखभाल, सही आहार, पानी की सुविधा और प्राकृतिक आवास प्रदान करने की आवश्यकता है।