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राजस्थान का स्वास्थ्य बजट (Health budget) ग्रामीणों पर नहीं, विज्ञापनों (Advertisments) खर्च, 11 लाख से अधिक डोज बर्बाद, राज्य सरकार जनता से मांगे माफीः कर्नल राज्यवर्धन

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में राज्य सरकार ग्रामीण अंचलो में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे के विकास के बजाय विज्ञापनों (Advertisments) पर करोड़ो रुपये खर्च कर रही है। हकीकत यह है कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार ने ही काम किया है राज्य सरकार ने तो स्वास्थ्य बजट (Health budget) का करोड़ों रुपया सिर्फ सिर्फ बडे़-बडे़ विज्ञापनों और हॉर्डिंग्स पर ही खर्च किए है, अगर ये करोड़ों रुपये ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सा सुविधाओं के लिए खर्च किए होते तो कई लोगों की जान बच जाती, राजस्थान सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर

राज्यवर्धन ने टीकाकरण पर भी राज्य सरकार द्वारा राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने गुरुवार, 27 मई को झोटवाड़ा और फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में जोबनेर, फुलेरा, सांभर और नरेना स्थित कोविड केयर सेन्टर्स का निरीक्षण किया और चिकित्सा उपकरण दिए। उन्होंने चिकित्साकर्मीयों का उत्साहवर्धन करते हुए कोरोनाकाल में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत भी उनके साथ रहे।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि केन्द्र सरकार वैक्सीनेशन पर तेज गति से कार्य कर रही है और भारत में अभी तक 20 करोड़ से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है इतनी तो कई देशों की जनसंख्या भी नही है। यह समय राजनीति करने का नहीं है लेकिन राज्य सरकार वैक्सीनेशन पर सिर्फ राजनीति कर अराजकता की स्थिति बनाने का प्रयास कर रही है। राज्यों के पास लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक वैक्सीन पड़ी हुई है और राजस्थान में तो वैक्सीन की 11 लाख से अधिक डोज बरबाद हो चुकी है।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि राजस्थान सरकार ने ग्रामीण राजस्थान को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया है। पूरे राजस्थान में लगभग 650 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं जो ग्रामीण जनता की सेवा कर रहें हैं। लेकिन, राज्य सरकार ने कोरोना की लहर आने के बाद से उसमें एक भी नया पैसा खर्च नहीं किया। आंकड़ों को छुपाने का भी यही कारण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास 1 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च करने के लिए थे लेकिन सरकार ने ग्रामीण राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था के लिए कुछ भी खर्च नहीं किया। अब राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए कोरोना टेस्ट कम कर दिए जिससे आंकड़ों में कमी दिखा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 45 दिनों में होने वाली लैब टेक्नीशियन व सहायक रेडियोग्राफर की भर्ती 11 महीने बाद भी पूरी नही कर सकी और सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों की भीर्ती भी भूल गई। चिरंजीवी योजना भी जनता के साथ छलावा है इस योजना के अंतर्गत निजी अस्पताल लोगों का इलाज ही नही कर रहे। राज्य सरकार ने प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना को भी बंद कर दिया।

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