हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्र देव 28 अप्रेल को सुबह 7.27 बजे मेष राशि में अस्त हो गए। ज्योतिषियों का कहना है कि वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के बाद 7 मई से ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी 31 मई को गुरु का तारा अस्त रहेगा। इन परिस्थितियों में विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर करीब ढाई माह रोक रहने वाली है।
धर्म शास्त्रों और ज्योतिषियों के अनुसार गुरु और शुक्र के अस्त होने की स्थिति में विवाह आदि मांगलिक कार्य पूर्णतया वर्जित होते हैं। यही वजह है कि गुरु व शुक्र अस्त के कारण किसी भी पंचांगों में मई -जून के विवाह मुहूर्त नहीं दिए गए हैं। बता दें कि अक्षय तृतीया को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है जो इस बार 10 मई को है। ऐसे में अबूझ मुहूर्त चलते इस दिन बड़ी संख्या में विवाह होंगे। इसके बाद 9 जुलाई से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे. जोकि 15 जुलाई तक जारी रहेंगे। कहा जाता है कि भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए शयन मुद्रा में चले जाते हैं इसलिए इन चार महीनों में विवाह आदि मंगलकार्य वहीं किए जाते। इसके बाद यानी 15 जुलाई 2024 के बाद 12 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी से विवाह मुहूर्त फिर से शुरू होंगे और लगातार 14 दिसंबर तक चलेंगे।
क्या होता है ग्रहों का अस्त होना
सरल भाषा में कहा जाए तो जब कोई ग्रह कुछ विशेष अंशों के साथ सूर्य के निकट आ जाता है, तो उस ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश और तेज के सामने धीमी पड़ जाती है। इस कारण वह आकाश में द्दष्टिगोचर नहीं होता तो उस ग्रह का अस्त होना कहलाता है। शुक्र भोग-विलास का नैसर्गिक कारक होने के कारण दाम्पत्य सुख का प्रतिनिधि होता है। वहीं गुरु कन्या के लिए पतिकारक होता है। इन दोनों ग्रहों का अस्त होना दाम्पत्य के लिए हानिकारक माना गया है इसीलिए गुरु-शुक्र अस्त में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं करते।