राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने गरीब व असहाय व्यक्तियों के स्थाई एवं अस्थाई निवास के लिए कार्य योजना बनाने के दिये निर्देश
जयपुर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने मुख्य सचिव को आश्रय विहीन गरीब व असहाय व्यक्तियों के स्थाई एवं अस्थाई निवास के लिए कार्य योजना बनाने का आदेश देते हुए समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए है। प्राधिकरण ने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी असहाय या गरीब (poor person) की ठंड (cold) से मौत (dies) होती है तो, संबंधित निकायों के अधिकारी (responsible) जिम्मेदार होंगे।
प्राधिकरण ने मंगलवार को जारी किए गए निर्देशों में कहा है कि मुख्य सचिव अपने अधीनस्थ समस्त जिला कलक्टर, स्थानीय स्वायत्त शासन विभाग, मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम, आयुक्त नगर पालिका या नगर परिषद, पुलिस अधीक्षक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें कि वे अपने क्षेत्र के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) के निर्देशन में एक कार्य योजना तैयार कर विशेष अभियान चलाए।
इस अभियान के तहत जिला, उपखण्ड एवं तालुका स्तर पर 22 से 24 दिसम्बर के मध्य सायं 6 से रात्रि 10 बजे तक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं अध्यक्ष, तालुका विधिक सेवा समिति की मुख्य भूमिका में आवश्यक पर्याप्त संख्या में कार्मिकों (स्टाफ एवं पुलिस अधिकारी तथा बीट पुलिसकर्मी और पीएलवी या समाज सेवी एनजीओ आदि) का दल बनाकर खुले में रहने को मजबूर गरीब व असहाय व्यक्तियों की पहचान करें और उन्हें तत्काल निकटतम रेन बसेरों में कोविड प्रोटोकॉल के नियमों की पालना करते हुए रिहायश करने के लिए प्रेरित करें और वहां तक उन्हें पहुंचाना सुनिश्चित करें।
मौत पर अधिकारी होंगे जिम्मेदार
रेन बसेरे एवं आश्रय स्थल में रह रहे व्यक्ति तथा पीड़ित को उनके विधिक अधिकारों से अवगत कराते हुए उनको आवश्यकतानुसार निःशुल्क या रियायती दरों पर भोजन की व्यवस्था करवाने, खुले में रहने से ठण्ड के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके लिए संबंधित निकाय एवं नगर पालिका अधिकारी या अन्य संबंधित प्राधिकृत राजकीय अधिकारी को उत्तरदायी ठहराने, महिलाओं और पुरूषों के लिए अलग-अलग रेन बसेरे एवं आश्रय स्थल खोले जाने के निर्देश दिए है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में राज्य सरकार द्वारा स्थायी-अस्थायी रेन बसेरे व आश्रय स्थल स्थापित किए गए है और इस बात की जानकारी आमजन को होना आवश्यक है, ताकि वे इससे लाभान्वित हो सकें।उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट याचिका संख्या 196/2001 उनवान पी.यू.सी.एल. बनाम भारत संघ व अन्य प्रकरण में पारित आदेश 12 दिसम्बर, 2011 के क्रम में जारी किए गए है।