जयपुर

एसीबी को पत्र लिखने से यदि दाग धुलते हैं, तो दाग ‘अच्छे’ हैं

ठेकेदारों को भुगतान की निगरानी के लिए ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर ने लिखा एसीबी को पत्र

जयपुर। एक डिटर्जेंट पाउडर के विज्ञापन की लाइन ‘दाग अच्छे हैं’ सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। नगर निगम ग्रेटर में भी इसी डायलॉग को एसीबी से जोड़ कर चटखारे के साथ बोला जा रहा है। कांग्रेसी पार्षद कह रहे हैं कि ‘एसीबी को पत्र लिखने से यदि दाग धुलते हैं, तो दाग अच्छे हैं’। यह डायलॉग ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर द्वारा एसीबी को लिखे गए पत्र को लेकर बोले जा रहे हैं।

नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर ने शुक्रवार को एसीबी महानिदेशक को पत्र लिखकर मांग की है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एसीबी की ओर से प्रभावी पर्यवेक्षण किया जाए। नगर निगम ग्रेटर में ठेकेदारों और विभिन्न फर्मों को करोड़ों रुपयों का भुगतान किया जाएगा। निगम की ओर से किए जा रहे भुगतान का एसीबी की ओर से पर्यवेक्षण कराके निगम को भ्रष्टाचार मुक्त कराने में सहयोग प्रदान किया जाए।

इस पत्र के बाद पूर्व पार्षद और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा ने महापौर सौम्या गुर्जर को आड़े हाथों लिया और कहा कि वह येन-केन महापौर तो बन गई, लेकिन उनमें महापौर पद लायक राजनीतिक परिपक्वता नहीं है। पति भ्रष्टाचार के आरोपों में हाल ही में पकड़े गए हैं, जिससे वह बौखलाई हुई है और अनर्गल प्रलाप व हरकतें कर रही हैं। जब इन्हें प्रत्याशी बनाया गया था, तब हमने सबूत दिए थे कि इनके अकाउंट से पैसे गए हैं।

अब यह इस तरह के पत्र लिखकर अपने आप को व पति को पाक साफ साबित करना चाहती हैं। उन्हें पत्र लिखने की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि राजस्थान सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर है। भ्रष्टाचार कहीं पर भी हो सरकार की पूरी नजर है।

नगर निगम के पूर्व मुख्य सचेतक गिरिराज खंडेलवाल का कहना है कि महापौर की खुद की इमारत भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी है और अब वह पत्र लिखकर अपने दाग धोने में लगी है। कांग्रेस शुरू से ही महापौर पर सवाल उठाती रही है। सौम्या गुर्जर करौली की है। ऐसे में वह सीधे रास्ते से तो महापौर बनी नहीं है। भ्रष्टाचार से एकत्रित पैसे का इस्तेमाल करके यह जयपुर की मेयर बनी हैं। महापौर पद पर निर्वाचन के संबंध में इनके वाद न्यायालय में लंबित पड़े हैं, जहां इनसे जवाब पेश नहीं किया जा रहा है। वकील बार-बार तारीख ले रहे हैं, लेकिन न्यायालय ने भी इनको लास्ट वार्निंग दे रखी है।

नगर निगम में हर स्तर पर भ्रष्टाचार चल रहा है, चाहे वह विकास कार्य हों या सफाई। आम जनता के काम भी बिना रिश्वत के नहीं हो पाते हैं। हर वर्ष एसीबी की निगम में दो-चार कार्रवाई तो निश्चित है। एसीबी को महापौर के पत्र पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। जिन भुगतान के लिए एसीबी को पत्र लिखा गया है, वह उस समय के हो सकते हैं, जबकि निगम में प्रशासक नियुक्त थे। ऐसे में अधिकारियों का भ्रष्टाचार भी सामने आ जाएगा।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने सबसे पहले 13 नवंबर को ‘शहरी सरकार बनते ही शुरू हुआ रार, दोनों निगमों के सीईओ ने बिना मेयर की अनुमति के किए करोड़ों के भुगतान, मेयर बोली मुझसे सहमति नहीं ली’, ‘दीपावाली पर ठेकेदारों को हुए भुगतान का कमीशन लेते अधिशाषी अभियंता गिरफ्तार’, ‘कौन बनेगा अधिकारियों का दलाल’, ‘नगर निगम में धर जा, अर मर जा की गूंज’खबरें प्रकाशित कर बताया था कि दोनों निगमों के सीईओ ने बिना महापौर की सहमति से ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान किया था। उसी दिन एसीबी ने इसी भुगतान के कमीशन लेते और देते हुए नगर निगम हैरिटेज के अधिशाषी अभियंता शेरसिंह चौधरी और दलाल को गिरफ्तार किया था।

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