ईरान स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म‘ एक्स’ जिसे आमजन ट्विवर के नाम नाम से जानते हैं, के जरिये र एक पोस्ट करके जानकारी दी है कि भारत और ईरान ने चाबहार स्थित शाहिद बेहश्ती पोर्ट के टर्मिनल के ऑपरेशन के लिए एक दीर्घकालीन समझौते के पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत के जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने दीर्धकालीन समझौते के पत्र पर हस्ताक्षर किये।
At Tehran, Iran today, delighted to be part of the signing of the Long Term Bilateral Contract on Chabahar Port Operations in presence of HE Mehrdad Bazrpash, Minister of Roads & Urban Development, Iran.
India will develop and operate Iran's strategic Chabahar Port for 10… pic.twitter.com/iXwekIk8ey
— Sarbananda Sonowal (Modi Ka Parivar) (@sarbanandsonwal) May 13, 2024
बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत किसी भी देश में स्थित किसी बंदरगाह के प्रबंधन को अपने हाथ में ले रहा है। चाबहार पोर्ट ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है.जिसे भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने ईरान के साथ संपर्क प्रोजेक्ट्स पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। आईपीजीएल की सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (IPGCFZ) ने 2019 में अफगानिस्तान से भारत में निर्यात की पहली खेप की सुविधा दी थी।
भारत क्षेत्रीय व्यापार विशेषतौर पर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट पर जोर दे रहा है। यह पोर्ट ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (INSTC) प्रोजेक्ट के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है। यह INSTC परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक मल्टीलेवल ट्रांसपोर्टेशन प्रोजेक्ट है।
अफगानिस्तान ने भी जाहिर की खुशी
उधर, अफगानिस्तान की तालिबान की सरकार ने ईरान के चाबहार पोर्ट को 10 साल के लिए भारत को मिलने का जोरदार तरीके से स्वागत किया है। तालिबान ने कहा है कि अब उसे विकल्प मिल जाएगा और उसकी पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर से निर्भरता कम हो जाएगी। यही नहीं तालिबान ने भारत के कदम का खुलकर समर्थन किया है और उसका मानना है कि इससे अब अफगानिस्तान में आर्थिक स्थिरता में आएगी और फायदा होगा। तालिबान सरकार अब चाबहार में एक विशेष जोन बनाना चाहती है ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार को किया जा सके। तालिबान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दोनों देशों के बीच साल 2023 में व्यपार 77 करोड़ 30 लाख डॉलर तक पहुंच गया है।