भारतीय वायुसेना की फाइटर जेट क्षमता 1965 के बाद से अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने इस स्थिति को लेकर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि वायुसेना मौजूदा संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने और कर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने बताया कि वायुसेना के पास 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृत क्षमता है, लेकिन पुराने सोवियत-युग के फाइटर जेट्स के रिटायर होने से इस संख्या में लगातार कमी आई है। नए विमानों की कमी के चलते हालात बिगड़ रहे हैं, खासकर 2018 में शुरू की गई 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट्स की खरीद प्रक्रिया में प्रगति नहीं हो रही है।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि विमानों की खरीद और शामिल करने की प्रक्रिया में समय लगता है, और तत्काल कोई नया विमान रातों-रात नहीं खरीदा जा सकता। मौजूदा 31 स्क्वाड्रन की ताकत 1965 के बाद से सबसे कम है। कुछ मिग-21 विमानों की रिटायरमेंट को बार-बार टाला गया है, क्योंकि वायुसेना स्वदेशी एलसीए एमके1ए विमानों की डिलीवरी का इंतजार कर रही है। उन्होंने भविष्य में देरी से बचने के लिए अतीत से सबक लेने और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने की भी सलाह दी।