इस्लामाबादसेना

चीन का एयर डिफेंस सिस्टम ईरानी मिसाइलों से पाकिस्तान को बचा नहीं सका..

पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम फेल होना चीन के लिए भी चिंता की बात है क्योंकि उससे ही पाकिस्तान ने ज्यादातर हथियार खरीदे हैं। पाकिस्तान सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए बजट में भी बढ़ोतरी कर रहा है। बीते साल भी पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने देश के रक्षा बजट में 2022 के मुकाबले 19.5 फीसदी का इजाफा किया था, जिसमें बड़ा हिस्सा पाकिस्तान वायुसेना को दिया गया था।
ईरान के हाल ही में पाकिस्तान में किए गए मिसाइल और ड्रोन हमले के बाद ये सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तानी सेना अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का बीते कुछ सालों में बार-बार उल्लंघन किया गया है। पाकिस्तान की सेना एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम होना को दावा करती है, इनको काफी खर्च करके खरीदा गया है। इनमें से ज्यादातर चीन से ली गई हैं, जो पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र की सुरक्षा में विफल रही हैं।
मई 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए एबटाबाद हमले के दौरान अमेरिकी वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर तीन घंटे और छह मिनट बिताए। पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को न तो उनके आने का पता चला और ना जाने का। अमेरिकी वायु सेना ने अफगानिस्तान सीमा के माध्यम से पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया और ओसामा को मारने के बाद लौट गए। इसी तरह फरवरी 2019 में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाने के लिए भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाक के हवाई क्षेत्र में एंट्री ली तो पाकिस्तान वायुसेना की रक्षा प्रणाली उनको समय से जवाब नहीं दे सकी।
पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम दिखा है नाकाम
मार्च 2022 में गलती से लॉन्च की गई एक भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल ने 3 मिनट और 44 सेकंड में पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर 124 किलोमीटर की दूरी तय की। हरियाणा के सिरसा से निकली मिसाइल शाम 18.43 बजे राजस्थान के सूरतगढ़ से पाकिस्तान में प्रवेश कर गई और शाम 18.50 बजे पाकिस्तान के अंदर गिरी। जिस स्थान पर ब्रह्मोस गिरी, वह मियां चन्नू, बहावलपुर से करीब 160 किमी दूर है। बाद में पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसकी रक्षा प्रणालियों को ब्रह्मोस मिसाइल के लॉन्च के बारे में 7 मिनट तक पता था जब वह पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में थी। हालांकि इस बयान ने और अधिक सवाल खड़े कर दिए कि पाकिस्तान का एयर डिफेंस पता होने के बावजूद मिसाइल को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने में सक्षम क्यों नहीं हुआ। बीते हफ्ते, 16 जनवरी को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आतंकवादी समूह जैश-उल-अदल के प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाते हुए हमले किए। नतीजा एक बार फिर वही, इन हमलों को पाक का एयर डिफेंस सिस्टम नहीं रोक सका।
ज्यादातर चीन से खरीदे हैं हथियार
पाकिस्तानी एयर डिफेंस में ज्यादातर चीन से खरीदे हथियार हैं। 2021 में पाकिस्तान ने चीनी निर्मित भ्फ-9 वायु रक्षा प्रणाली को हासिल किया था, जिसे थ्क्-2000 के रूप में भी जाना जाता है, ये एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे विमान और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है। पाकिस्तान वायु सेना अमेरिकी आर-77 लॉन्ग रेंज एयर सर्विलांस रडार और चीनी मल्टी-रोल रडार का भी उपयोग करती है। दोनों लंबी दूरी की रडार प्रणालियां हैं, जो बड़े क्षेत्र में शत्रुतापूर्ण विमानों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने का दावा करती हैं।
भारी-भरकम तकनीक क्यों हो रही फेल?
मार्च 2017 में पाक सेना ने चीनी लो टू मीडियम एल्टीट्यूड एयर डिफेंस सिस्टम को भी शामिल किया, जिसके बारे में दावा किया गया कि यह कम और मध्यम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए लंबी दूरी पर विभिन्न हवाई लक्ष्यों को ट्रैक करने और नष्ट करने में सक्षम है। पाकिस्तान और चीनी सैन्य विशेषज्ञों ने इसके बारे में कहा था कि ये लड़ाकू जेट, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन को मार गिरा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार एक बैटरी 8,000 वर्ग किमी तक की सुरक्षा प्रदान कर सकती है। प्रत्येक बैटरी में रोशनी और पॉइंटिंग रडार और चार लॉन्चर होते हैं। पाकिस्तानी सेना दो अलग-अलग एयरबोर्न अर्ली वार्निंग और कंट्रोल एयरक्राफ्ट सिस्टम भी संचालित करती है।
सिस्टम का रखरखाव न होने के कारण आई खराबी
पाकिस्तानी सेना के पास इतना विकसित एयर डिफेंस सिस्टम और हथियार होने के बावजूद वह अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा नहीं कर पा रही है। बार बार उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि या तो ये सिस्टम रखरखाव न होने के कारण खराबी का सामना कर रही हैं, या फिर वह इतना शानदार नहीं है, जितना निर्माता दावा करते हैं। या फिर ऐसा भी हो सकती है कि इनको अप्रशिक्षित कर्मी संभाल रहे हैं।

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