भारतीय सेना खराब जीवन शैली के चलते ‘अधिकारियों के बीच घटते शारीरिक मानकों’ को देखते हुए एक नई फिटनेस नीति लेकर आई है। इस नई नीति के तहत सैन्य अधिकारियों को नए टेस्ट से गुजरना होगा। इसमें नए मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले आर्मी ऑफिसर्स को सुधार के लिए पहले 30 दिनों का वक्त दिया जाएगा और अगर इस दौरान उनकी फिजिकल फिटनेस में कोई सुधार नहीं हुआ तो उनकी छुट्टियों में कटौती जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नए नियमों के तहत हर सैन्य अधिकारी को आर्मी फिजिकल फिटनेस असेसमेंट कार्ड भी तैयार रखना होगा। इन नए बदलावों के अनुसार, हर तीन महीने पर होने वाले इन टेस्ट पर कमांडिंग ऑफिसर के बजाय ब्रिगेडियर रैंक का एक अधिकारी नजर रखेगा। इस नई नीति का मकसद परीक्षण प्रक्रिया में समानता लाना और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते खतरे के बीच सैन्य अधिकारियों के मोटापे या शारीरिक रूप से अयोग्यता से जुड़े मसलों से निपटना है।
सेना में फिटनेस टेस्ट का क्या है मौजूदा नियम?
मौजूदा नियमों के अनुसार, हर तीन महीने में बैटल फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट और फिजिकल प्रोफिशिएंसी टेस्ट होता है। बीपीईटी के तहत एक शख्स को 5 किलोमीटर की दौड़, 60 मीटर की तेज दौड़, रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ना और तय समय में 9 फीट के गड्ढे को पार करना होता है। इन सारे टेस्ट में समय सैन्य कर्मियों की उम्र के हिसाब से तय किया जाता है।
वहीं, पीपीटी में 2.4 किलोमीटर की दौड़, 5 मीटर शटल, पुश अप्स, चिन अप्स, सिट अप्स और 100 मीटर की स्प्रिंट होती है। इसके अलावा कुछ जगहों पर तैराकी जांच भी होती है। इन सभी जांच के नतीजों को एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट में शामिल किया जाता है, जिसके जिम्मेदार कमांडिंग ऑफिसर यानी सीओ होते हैं।
नए फिटनेस टेस्ट में क्या?
अखबार के अनुसार, फिटनेस टेस्ट के नए नियमों के तहत ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी, दो कर्नल और एक मेडिकल अधिकारी के साथ मिलकर हर तीन महीने में सैन्यकर्मियों की फिटनेस परखेंगे। सैनिकों को कुछ नए टेस्ट भी देने होंगे। इनमें 10 किलोमीटर का स्पीड मार्च और हर 6 महीने में 32 किलोमीटर का रूट मार्च शामिल है। इसके साथ ही 50 मीटर का तैराकी का टेस्ट भी देना होगा। सभी सैनिकों को आर्मी फिजिकल असेसमेंट कार्ड तैयार रखना होगा और टेस्ट के नतीजों को 24 घंटों के अंदर दाखिल भी करना होगा।
फिटनेस टेस्ट नहीं करने पर क्या होगा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जो सैनिक इन फिटनेस टेस्ट के तय मानकों पर खरे नहीं उतरते या निर्धारित वजन से ज्यादा मोटे पाए जाते हैं तो उन्हें अपनी हालत दुरुस्त करने के लिए 30 दिनों का समय मिलेगा। अगर इस दौरान उनमें कोई सुधार नहीं होता तो उनकी छुट्टियों और टीडी कोर्सेज में कटौती कर दी जाएगी।
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