मायला बाग स्थित धनुषधारी हनुमानजी मंदिर के पीछे पहाड़ी पर मिला लेपर्ड का शव
जयपुर। नाहरगढ़ अभयारण्य के मायला बाग स्थित धनुषधारी हनुमानजी के मंदिर के पीछे रविवार सुबह पांच से छः माह के नर लेपर्ड की बॉडी मिली है। प्रथमद्रष्टया इसकी मौत किसी दूसरे लेपर्ड के साथ फ़ाइट होना बताया जा रहा है।
बीड़ पापड़ रेंज के गार्डों को ग्रामीणों ने लेपर्ड का शव पड़ा होने की जानकारी दी। इसपम वनकर्मी मौके पर पहुंचे और लेपर्ड के शव को पांचबत्ती स्थित पशुचिकित्सा पॉलीक्लिनिक लाया गया, जहां तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड में शामिल वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद माथुर, डॉ पुरुषोत्तम शर्मा और डॉ उषा चौधरी ने शव का पोस्टमार्टम किया। इस दौरान लेपर्ड की बॉडी पर दांतो के निशान मिले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि किसी दूसरे लेपर्ड से या किसी हाइना से हुए संघर्ष में यह लेपर्ड मारा गया है।
शिशु लेपर्ड की मौत का जिम्मेदार वन विभाग
हालांकि दूसरे पशु से हुए संघर्ष के कारण इस लेपर्ड शिशु की मौत हुई है, लेकिन इसके लिए वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि पिछले चार—पांच दशक से वन विभाग ने राजधानी से सटे हुए इस अभ्यारण्य को राम भरोसे छोड़ रखा है। राजधानी में होने के बावजूद इस अभ्यारण्य में संसाधनों की भारी कमी है। लगातार अभ्यारण्य क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहे हैं। वाणिज्यिक गतिविधियां बेलगाम चल रही है।
नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही वाणिज्यिक गतिवधियों के मामले में एनजीटी में हुई सुनवाई में एक तथ्य सामने आया कि यह अभ्यारण्य देश का पहला ऐसा अभ्यारण्य है, जहां वन एवं वन्यजीव अधिनियमों को कोई टके सेर नहीं पूछता है। चौबीसों घंटे अभ्यारण्य में कोई भी बे रोक—टोक जा सकता है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।