People who made it BIG

सफल महिला उद्यमी के तौर पर सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए पहले सफल महिला होना जरूरी

जिंदगी सभी को सरल मिलती है किंतु अक्सर हम ही उसे जटिल बना डालते हैं। और, यदि सोच सकारात्मक हो और अपने उत्तरदायित्व पूरे करते चलें तो फिर न केवल जिंदगी सरल हो जाती है बल्कि अन्य कोई भी कठिन से कठिन लक्ष्य हासिल करना भी आसान हो जाता है। जिंदगी में इसी फलसफे को जीती हैं राजस्थान की अग्रणी महिला उद्यमी ज्योति शर्मा जुनेजा। क्लियरन्यूज डॉट लाइव ने अपनी विशेष लेखों की श्रृंखला People who made it BIG के तहत ज्योति से विशेष बातचीत की। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश..

निराला शहर बीकानेर

बीकानेर राजस्थान का वो निराला शहर है जो देश-दुनिया में विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान रखता है। यहां की कला, रहन-सहन का विशिष्ट अंदाज, रीति-रिवाज और खानपान का तौर-तरीका दूर-दूर तक मशहूर है। पुराने बीकानेर में तो आज भी पाटा संस्कृति जीवित है, जहां घर के बाहर लगे पाटे (तख्त) पर बैठकर छोटों से लेकर बड़ी उम्र तक के लोग गली-कूचे से लेकर देश-विदेश की सभी तरह की चर्चाएं करते दिख जाते हैं।

कह सकते हैं कि नवीन विचारों से सरोकार रखने के साथ-साथ वर्षों पुरानी सांस्कृतिक परम्पराओं को भी जीवंत रखने वाले अल्हड़ मिजाज वालों का शहर है बीकानेर। ऐसे ही बीकानेर में पैदा हुई ज्योति शर्मा  और यहीं पर पली, पढ़ी और बड़ी भी हुई। पेरेंट्स बढ़िया सरकारी नौकरी में थे।  सो उन्होंने अपनी लाड़ली को पढ़ाई में हमेशा ही बेहतर करने को ही प्रेरित किया। विज्ञान विषय में स्नातक के बाद ज्योति ने एमबीए में एडमीशन ले लिया। एमबीए 1993 में पूरा करने के साथ ही फार्मास्युटिकल कंपनी में मैनेजमेंट ट्रेनी का जॉब लग गया।

उत्तरदायित्वों को प्राथमिकता

परिवार के साथ हंसी खुशी के पलः ज्योति अपने पति अनिल और बच्चों के साथ

बीकानेर में फार्मा कंपनी के लिए मार्केटिंग के क्षेत्र में जॉब करने वाले पहली महिला रहीं ज्योति। तब लोग उन्हें कौतुक भरी निगाहों से देखा करते थे किंतु वे इन निगाहों की परवाह किये बिना अपना काम पूरी मेहनत से करती जा रही थीं। और अधिक काम करने और आगे बढ़ने की तमन्ना मन में पल रही थी कि विवाह तय हो गया। जिस परिवार में विवाह हुआ वह संयुक्त परिवार (जुनेजा परिवार) था सो पारिवारिक जिम्मेदारियां भी शुरुआत से ही रहीं।

बिजनेस की शुरुआत

ज्योति शर्मा अब ज्योति शर्मा जुनेजा हो गयी थीं और वे नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक उत्तदायित्यों को बखूबी निभा रही थीं। धीरे-धीरे उन्हें समझ आ चुका था कि ससुराल के प्रति उत्तदायित्वों के साथ नौकरी कर पाना असंभव नहीं तो दुष्कर जरूर रहने वाला है। इस उलझन का सरल उपाय यही था कि क्यों ना जिस क्षेत्र का अनुभव है, उसी में बिजनेस की शुरुआत की जाये। इसके लिए सितंबर 1994 में ज्योति ने नौकरी छोड़ना तय कर लिया और त्यागपत्र स्वीकार होने के बाद 1 नवम्बर 1994 को फार्मास्युटिकल ट्रेडिंग बिजनेस की शुरुआत कर दी।

पहले बनें सफल महिला

मौज-मस्ती का मूडः ज्योति अपने पति अनिल (सबसे आगे), बेटी अदिति और बेटे अमोल के साथ। अदिति मुंबई में प्रोफेशनल मेकअप आर्टिस्ट हैं और अमोल राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी हैं।

ज्योति को ससुराल में सभी का विशेषतौर पर पति श्री अनिल जुनेजा का भरपूर सहयोग मिला। पति नौकरी के साथ ज्योति के कारोबार में भी हाथ बंटाते थे। घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने लगी थीं। वर्ष 1995 में बेटी और फिर फिर 1998 में बेटा भी संसार में आ चुके थे। बकौल ज्योति सफल महिला उद्यमी होने से कहीं जरूरी है कि पहले आप सफल महिला बनें।

ज्योति का कहना है कि यदि कोई महिला अपने घर में सफल नहीं होती तो सफल उद्यमी होते हुए भी समाज में उचित प्रतिष्ठा अर्जित नहीं कर पाती। इसीलिए किसी भी महिला उद्यमी के लिए जरूरी है कि वह परिवार की जिम्मेदारियों को उच्च प्राथमिकता दे। एक बार अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व पूरे कर लिये जाएं तो परिवार के सभी लोग आपको आपके कार्य में सहयोग भी देने लगते हैं। यही सफल महिला उद्यमी होने का सूत्र भी है।

दृढ़ इच्छा और अपनों का साथ

पारिवारिक उत्तरदायित्वों के साथ बिजनेस संभालने के कारण शुरुआत में काम का बोझ कुछ अधिक रहा। लेकिन, दृढ़ इच्छा हो और अपनों का साथ हो तो कोई काम जटिल नहीं रह जाता। शुरुआत घर के एक कमरे के साथ हुई। इसका कारण भी था कि घर बीकानेर के व्यावसायिक इलाके में ही था। फिर,  बिजनेस कुछ बड़ा होने लगा तो घर के पास ही कुछ अन्य दुकानें भी ले ली गईं। बच्चों को स्कूल भेजकर समय पर बिजनेस का कार्य करना पड़ता। जब बच्चे स्कूल से घर आते तो उस समय लंच टाइम करके फिर घर और बच्चों संभालना होता था।

ज्योति पति अनिल जुनेजा के साथः ज्योति का कहना है कि पारिवारिक उत्तरदायित्व को प्राथमिकता दें और उन्हें पूर्ण करें तो पति ही नहीं परिवार के अन्य लोग भी साथ देते हैं।

गुणवत्ता पूर्ण व्यापारिक सेवाएं

घर-गृहस्थी का बढ़ा हुआ काम और एक महिला होने की सीमा बिजनेस पर असर तो जरूर डालती थी लेकिन गृहस्थी व बिजनेस में संतुलन रहने के कारण अपने काम से संतुष्ट थीं ज्योति। कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में फार्मा बिजनेस में नये-नये ग्राहकों से सही समय पर मिलना और बिजनेस को खींच कर अपनी ओर लाना होता है किंतु इस तरह की आक्रामक बिजनेस रणनीति पर काम कर पाना ज्योति के लिए बड़ी चुनौती थी।

ज्योति ने धैर्य नहीं खोया। केवल काम और ग्राहकों को गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित रखा। इसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे काम बढ़ने लगा और बाजार में ज्योति की कंपनी ज्योति मेडिकोज पर उसके ग्राहकों का भरोसा जमने लगा। आज ज्योति स्वतंत्र रूप से अपना काम संभालती हैं और 10 अन्य लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं।

पच्चीस वर्षो से अधिक का अनुभव

ज्योति बताती हैं कि अब तो उन्हें अपने काम का 25 वर्षों से अधिक का अनुभव हो गया है और अब उनके दवा कारोबार में पति की सहायता की जरूरत कम ही पड़ती है। उनके पति भी अब अपने अलग व्यापार पर ध्यान देते हैं। वे बीकानेर में दो अन्य साथियों के साथ ख्यातनाम मारवाड़ अस्पताल सफलतापूर्व संचालित कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने गैस एजेंसी में नया निवेश किया है। उधर, ज्योति अपना बिजनेस सफलतापूर्वक चला रही हैं और बीकानेर में इस क्षेत्र में कार्य करने वाली एक मात्र महिला हैं।     

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