जयपुर। मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जैसलमेर दौरे की खबर सुर्खियों में रही, लेकिन बुधवार सुबह इस दौरे के निरस्त होने की भी सूचना भी आ गई। कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनावों के परिणामों ने इस दौरे को रद्द करवा दिया।
नहीं थी राहुल गांधी के दौरे की योजना
सूत्रों का कहना है कि हकीकत में यह राहुल गांधी का दौरा नहीं था वरन् यह तो बिहार चुनावों में महागठबंधन और एनडीए में कांटे की टक्कर होती और दोनों ही संगठनों को बहुमत का आंकड़ा नहीं मिलता, तो जैसलमेर में महागठबंधन विधायकों की बाड़ाबंदी की तैयारी की गई थी। राहुल गांधी के आने की खबर इसलिए चलवाई गई कि ताकि यह पता नहीं चले कि महागठबंधन की ओर से विधायकों की बाड़ेबंदी की तैयारी की जा चुकी है।
इसलिए रद्द बताना पड़ा राहुल का जैसलमेर दौरा
जैसलमेर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने ओर सुरक्षा दस्ते के जैसलमेर पहुंचने की सूचना इसलिए आई कि यदि विपरीत परिस्थितयां पैदा होती और बिहार के विधायक जैसलमेर आते तो उनके साथ राहुल गांधी भी जैसलमेर आ सकते थे या वे विधायकों से मिलने के लिए आ सकते थे, लेकिन चुनाव परिणामों ने राजद और कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया और ऐसे में राहुल गांधी के संभावित दौरे को तुरंत रद्द भी कर दिया गया।
कांग्रेस को बनी थी सत्ता की आस
कहा जा रहा है कि एग्जिट पोल सामने आने के बाद राजग और कांग्रेस को आस बंध गई थी कि बिहार में उनकी सरकार बनने जा रही है, लेकिन सरकार काफी मशक्कत के बाद बनेगी। ऐसे में विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूर्व में ही बाड़ेबंदी की तैयारी जैसलमेर में की गई थी। महागठबंधन को भय था कि बहुमत नहीं मिलने की परिस्थितियों में भाजपा उनके विधायकों की तोडफ़ोड़ कर सकती है।
कांग्रेस को लगने लगा भाजपा की तोड़फोड़ से डर
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि कई राज्यों में सरकारें गंवाने के बाद अब कांग्रेस को भाजपा की तोड़फोड़ से डर लगने लगा है। तोड़फोड़ के भय से पिछले कुछ वर्षों में गोवा, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान में विधायकों की बाड़ेबंदी देखने को मिली है। कर्नाटक और मध्यप्रदेश में तो तोड़फोड़ की राजनीति के चलते कांग्रेस को सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा है। बिहार में महागठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है, ऐसे में डर के चलते महागठबंधन ने भी भाजपा से सतर्कता के चलते बाड़ेबंदी की तैयारी की थी।
जैसलमेर को इसलिए चुना
महागठबंधन विधायकों की बाड़ेबंदी के लिए जैसलमेर को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां महागठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस का शासन है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तेज-तर्रार राजनेता हैं और कई राज्यों में ऐसी परिस्थितियों से अच्छी तरह से निपट चुके हैं। खुद राजस्थान में भी तोडफ़ोड़ कर सरकार गिराने की आशंका बनी तो कहा जाता है कि गहलोत सजगता के आगे भाजपा के प्रयास सफल नहीं हो सके। राजस्थान में तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान भी कांग्रेस के विधायकों को जैसलमेर के सूर्यमहल होटल में ठहराया गया था। ऐसे में महागठबंधन ने गहलोत पर विश्वास जताते हुए जैसलमेर में बाड़ेबंदी की तैयारी की थी।