गुजरात के अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान एक बड़े हादसे कि खबर आ रही है। जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान एक बिल्डिंग की बालकनी का कुछ हिस्सा गिरने से हादसे में 11 लोग घायल हुए हैं। घायलों में ऊपर से गिरने और नीचे खड़े लोग भी शामिल हैं। हादसे के बाद सभी घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया है।जहां पर लोगों का इलाज चल रहा है। घायलों में बच्चे भी शामिल है। वही झारखण्ड के हजारीबाग के सिलवास पहाड़ स्थित जगन्नाथ धाम मंदिर में भी रथयात्रा के दौरान वज्रपात से दो श्रद्धालु की मौत हो गयी, वहीं एक दर्जन श्रद्धालु घायल हो गये।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा देखने को लेकर बड़ी संख्या में लोग बालकनी पर खड़े हुए थे | इस बीच बालकनी लोगों का भार नहीं संभाला सकने की वजह से धडाम से लोगों को लेकर नीचे आ गया। जिसके बाद चीख पुकार के साथ भगदड़ मच गई। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग खतरनाक और जर्जर थी, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।
वही झारखण्ड के हजारीबाग के सिलवास पहाड़ स्थित जगन्नाथ धाम मंदिर में रथयात्रा के दौरान वज्रपात से दो श्रद्धालु की मौत हो गयी, वहीं एक दर्जन श्रद्धालु घायल हो गये। वहीं, केरेडारी के बुंडू में वज्रपात की चपेट में आने से 10 वर्षीय एक बच्चे की मौत हो गयी।
झारखण्ड में पहली भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा
बता दें कि झारखण्ड के हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड में जीटी रोड सियरकोनी से आज 20 जून को पहली भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा निकल रही है। 20 से 24 जून तक पांच दिवसीय भगवान श्री जगन्नाथ महोत्सव ऐतिहासिक मानी जा रही है । इसको लेकर रथ यात्रा प्रबंधन समिति और इस्कॉन संस्था से जुड़े भक्ति वेदांता और गुरुकुल संचालक डॉ केशवानंद प्रभु क्षेत्र के लोगों के आर्थिक सहयोग से रथ यात्रा का आयोजन की जा रही है। क्षेत्र के कई लोग इस्कॉन तथा डॉ केशवानंद प्रभु से जुड़ कर भरपूर सहयोग कर रहे हैं।
भगवान श्री जगन्नाथ का रथ 15 लाख रुपए का
जीटी रोड सियरकोनी में श्री जगन्नाथ मंदिर के समीप भव्य रथ यात्रा बन रही है। आयोजको ने बताया को भगवान श्री जगन्नाथ की रथ पुरी की तरह बनाया जा रहा है। भगवान श्री जगन्नाथ का विग्रह पुरी में महापात्रा परिवार की ओर से बनाया गया है। जो पुरी में वर्षो से रथ का विग्रह बना रहे हैं। बताया गया कि भगवान श्री जगन्नाथ का रथ बनाने में करीब 15 लाख रुपए खर्च हुए है, रथ बनाने के लिए बंगाल और ओडिशा से कारीगर आये थे। रथ पूरी तरह हाइड्रोलिक बनाया गया है जिसकी ऊंचाई कम या अधिक की जा सकती है।