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जय गणेश, काटो क्लेश, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष (BJP State President) सतीश पूनिया पहुंचे हाथियों (elephants) को चारा खिलाने, चर्चाओं का बाजार गर्म

क्या भाजपा प्रदेशाध्यक्ष (BJP State President) सतीश पूनिया वर्तमान पद से भी बड़ा पद पाना चाहते हैं? क्या उनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तो नहीं? या फिर वह अपने कार्यकाल में आ रही परेशानियों से निजात पाने के लिए ज्योतिषीय, तांत्रिक उपायों में जुटे हैं।

गुरुवार को पूनिया अपने विधानसभा क्षेत्र आमेर स्थित हाथी गांव (elephant village)पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने हाथियों को खाद्य सामग्री खिलाई वहां मौजूद महावतों को राशन सामग्री के पैकेट वितरित किए। पूनिया ने खुद ट्वीट करके इसकी जानकारी दी।

पूनिया के ट्वीट के बाद से ही राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। तरह-तरह की बातें सामने आने लगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कुछ इसे वर्तमान समस्याओं के निजात का मार्ग बता रहे थे, तो कुछ अभीष्ट सिद्धि या उच्च पद प्राप्ति के उपयोग के रूप में प्रचारित करने में लगे थे।

वैसे देखा जाए तो इन चर्चाओं में सत्यता भी नजर आती है, कि पूनिया की नजर उच्च पद पर हो सकती है और प्रदेशाध्यक्ष के बाद मुख्यमंत्री का पद ही खाली बचता है। सूत्रों का कहना है कि पूनिया के चहेते कार्यकर्ता कई बार सभाओं में नारेबाजी कर मुख्यमंत्री पद के लिए पूनिया की दावेदारी जता चुके हैं। ‘टीम वसुंधरा’ विवाद के समय भी सोश्यल मीडिया पर टीम सतीश पूनिया तैयार हो गई थी और उनके कार्यकर्ताओं ने पूनिया को अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित करते हुए कैंपेन भी चला दिया था।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि हाथी को गणेश का प्रतिरूप माना जाता है और गणेशजी विघ्रहर्ता हैं। पूनिया के अभी तक के कार्यकाल को देखा जाए तो उनके सामने लगातार कोई न कोई विघ्र सामने आ रहा है। न तो वह प्रदेश भाजपा पर पूरी पकड़ बना पाएं है और न ही संगठन को मजबूती प्रदान कर पाए हैं। उसपर विरोधी खेमे द्वारा लगातार उन्हें पाला दिया जा रहा है। ऐसे में शायद वह अपने विघ्नों के निदान के लिए हाथियों को चारा खिलाने पहुंचे होंगे।

जयपुर के ज्योतिषियों का कहना है कि अक्सर राजनेता उच्च पदों की प्राप्ति के लिए हाथियों की सेवा-पूजा करते नजर आते हैं, लेकिन जिस तरह विभिन्न ग्रहों के लिए पशु, पक्षियों और जलचरों को भोजन कराने के उपाय प्रचलित है और शास्त्रों में वर्णित है, वैसा कोई उपाय हाथियों के लिए शास्त्रों में नहीं दर्शाया गया है। हां अश्विन मास की पूर्णिमा (full moon) के दिन गजपूजाविधि व्रत रखा जाता है। सुख-समृद्धि की इच्छा से हाथी की पूजा की जाती है। हाथी शुभ शकुन वाला और लक्ष्मी दाता माना गया है।

गज लक्ष्मी और राज्यलक्ष्मी पूजन के दौरान कुछ स्थानों पर हाथियों के पूजन का विधान भी आता है, लेकिन यह चांदी, मिट्टी से बनी हाथी की मूर्तियों के लिए होता है। कुछ लोग हाथियों को भोजन कराने को तांत्रिक प्रयोगों से जोड़कर देखते हैं, लेकिन इस मत का कहीं उल्लेख नहीं दिखाई देता है। ऐसे में सच क्या है, वह तो पूजन करने वाले ही बता सकते हैं।

पंडित पारब्रह्म शर्मा का कहना है कि हाथियों को गणेशजी (Lord Ganesh) का प्रतिरूप माना गया है। मंदिरों में गणेशजी को दूर्वा चढ़ाई जाती है, लेकिन जब हाथी दिखाई देता है तो मन में उसे गणेशजी का प्रतिरूप मानकर हरा चारा, गन्ना, गुड़ और फल खिलाए जाते हैं।

वास्तुशास्त्री एस के मेहता का कहना है कि हाथी का संबंध बुध और गुरु ग्रह से जोड़ा जाता है, लेकिन हकीकत में हाथी का संबंध राहु ग्रह से होता है। राहु ग्रह ही राजनीति का कारक होता है। नेताओं को सबसे ज्यादा समस्या भी राहु ग्रह से ही होती है। इसलिए राजनीति में रुकावटों को दूर करने, सफलता प्राप्ति के लिए हाथियों की सेवा जरूरी हो जाती है।

मेहता ने बताया कि अचानक होने वाली घटनाओं का संबंध राहु से होता है, राजनीति में भी सबकुछ अचानक और तेजी के साथ होता है। ऐसे में राजनीति से जुड़े हुए व्यक्तियों द्वारा यदि हाथी की सेवा की जाती है तो वह उसके लिए फायदेमंद साबित होती है। वर्तमान में कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है। यह महामारियां भी राहु के प्रयोग से ही आती है।

आमेर में हाथी मालिकों की एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल अजीज का कहना है कि हाथी गांव बनने के बाद यहां कई बड़े राजनेता यहां आ चुके हैं और वह यहां आकर हाथियों की पूजा करते हैं और उन्हें चारा, गुड़, गन्ना, फल इत्यादि खिलाते हैं। इन राजनेताओं में राजस्थान के अलावा अन्य आस-पास के राज्यों के राजनेता भी शामिल है। इनमें मुख्यमंत्री, एमपी, विधायक, प्रदेशाध्यक्ष, महापौर स्तर के राजनेता शामिल है।

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