धरम सैनी
राजस्थान का मुखिया कौन होगा, इसका फैसला होने से पहले ही जयपुर के नगर निगम हेरिटेज मुखिया का फैसला हो गया है। भाजपा यहां खुद का महापौर लेकर आएगी। इसके लिए अभी से ही प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। भाजपा ज्यादा दिनों तक महापौर मुनेश गुर्जर को अब पद पर नहीं बने रहने देगी।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोर्ट से राहत मिलने के बाद महापौर मुनेश गुर्जर ने भाजपा में जाने का दांव खेला था और संगठन के लोगों से चर्चा चलाई थी। दूसरी ओर खुद मुनेश ने कुर्सी संभालते समय अपने बयान में कहा है कि उनका भाजपा में जाने का कोई इरादा नहीं है। कांग्रेसी बोर्ड के पास पूरा बहुमत है।
कहा जा रहा है कि मुनेश गुर्जर के भाजपा में आने की चर्चाओं के बीच उन्हें ज्यादा तरजीह नहीं दी गई, क्योंकि वह भाजपा में आकर महापौर बने रहना चाहती है। उधर शहर भाजपा और सिविल लाइन्स विधानसभा क्षेत्र के पार्षदों ने मुनेश का विरोध कर दिया। शहर भाजपा के नेताओं का कहना है कि जब विधानसभा चुनावों के पूर्व ज्योति खंडेलवाल और सुरेश मिश्रा ने भाजपा की सदस्यता ली थी, उस समय भी शहर भाजपा ने संगठन को साफ चेता दिया था कि इन्हें भाजपा में तो लिया है, लेकिन इन्हें टिकट मत दे देना, हम बीस सालों तक इनसे लड़ते आएं है और आप इन्हें टिकट देकर हमारे सिर पर बिठा दो।
ऐसे में साफ हो चुका है कि अब निगम हेरिटेज में भाजपा खुद का महापौर लाएगी। ऐसे में प्रदेश सरकार बनते ही मुनेश गुर्जर के खिलाफ जांच फिर शुरू हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उन्हें पद से हटाकार नया महापौर बनाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जांच से पहले यदि निगम की साधारण सभा की बैठक होती है, तो भाजपा महपौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है।
बता दें कि निगम हेरिटेज में कांग्रेस के 47 पार्षद थे और भाजपा के 44 पार्षद। हाल ही में कांग्रेस के एक पार्षद ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है और भाजपा पार्षदों की संख्या 45 और कांग्रेस पार्षदों की संख्या 46 हो गई है। भाजपा को बोर्ड बनाने के लिए 5—6 पार्षदों की जरूरत है। ऐसे में भाजपा निर्दलीय पार्षदों का सहारा लेकर अपना बोर्ड आसानी से बना सकती है।