रांचीराजनीति

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में अपमानित महसूस कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पुत्र समेत भाजपा में शामिल हो गये..!

झारखंड के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन शुक्रवार 30 अगस्त, शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में औपचारिक रूप से शामिल हो गए। चंपई सोरेन, जिन्हें “कोल्हान टाइगर” के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड के मुख्यमंत्री तब बने थे जब हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था। हालांकि, जब हेमंत सोरेन जून 2024 में जमीन घोटाले से संबंधित मामले में जमानत पर वापस आए, तो उन्होंने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और स्वयं मुख्यमंत्री बन गए। चंपई सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के एक प्रमुख नेता थे, इस प्रकार से अस्थायी मुख्यमंत्री बनाए जाने से काफी आहत थे। उन्हें अपनी पार्टी में खुद को अपमान महसूस होने लगा और इस वजह से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। उनका यह कदम राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने देश की सबसे बड़ी पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक भविष्य को एक नया मोड़ दिया है।
बीजेपी में चंपई सोरेन के शामिल होने के दौरान, झारखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्व सरमा, और प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी मौजूद थे। इस मौके पर झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को पार्टी की सदस्यता दिलाई। यह कदम झारखंड की राजनीति में भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त माना जा रहा है।
झारखण्ड मुक्तिमोर्चा के सक्रिय और बड़े नेताओं में शुमार रहे चंपई सोरेन का आदिवासी समाज बहुत झारखण्ड में अच्छा खासा प्रभाव रहा है। वे जमीनी स्तर पर संघर्ष करके बने नेता हैं। उन्होंने अब तक 7 विधानसभा चुनाव लड़े हैं, जिनमें उन्हें केवल एक में हार का सामना करना पड़ा है। अब सवाल उठ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद क्या वे झारखण्ड की राजनीति में भाजपा के लिए कारगर साबित होंगे ? झारखण्ड में आगामी चुनावों में झामुमो और उसके सहयोगियों को हराने में मदद कर पाएंगे?
क्या BJP ने कोल्हान इलाके में झामुमो को नुकसान पहुंचाया?
झारखंड के चुनावी नतीजे बड़ी आदिवासी आबादी वाले अन्य राज्यों की तरह, इसके राजनीतिक भूगोल पर निर्भर करती है। बहरहाल झारखंड को 5 बड़े इलाकों में बांटा जा सकता है। विधानसभा सीटों की संख्या के बढ़ते क्रम में ये इलाके- पलामू (9), कोल्हान (14), दक्षिण छोटानागपुर (15), संथाल परगना (18) और उत्तरी छोटानागपुर (25) हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनका परिवार राज्य के संथाल परगना इलाके से आता है। चंपई सोरेन कोल्हान इलाके से आते हैं जिसमें 2011 की जनगणना के मुताबिक अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा (41.96 फीसदी) है। राज्य के अन्य उप-क्षेत्रों में जनजातियों की आबादी का हिस्सा क्रमशः दक्षिण छोटानागपुर, संथाल परगना, पलामू और उत्तरी छोटानागपुर संभागों में 51.1 फीसदी, 28.1 फीसदी, 18 फीसदी और 9.5 फीसदी है।
रिजर्व सीटों पर झामुमो को बड़ी जीत
2019 के विधानसभा चुनावों में झामुमो और उसके सहयोगियों ने कोल्हान इलाके में 14 विधानसभा सीटों में से 13 जीते थे। पिछले चुनावों में कोल्हान इलाके में झामुमो का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव वाला रहा है। वर्ष 1980 के बाद से नौ विधानसभा चुनावों में से चार में से भाजपा ने इस इलाके में अधिक सीटें जीती हैं। झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन का राज्य में 2019 के चुनावों में जीत हासिल करने का सबसे बड़ा कारण राज्य में 28 आरक्षित सीटों में इसकी 89.3 फीसदी जीत का स्ट्राइक रेट था। शेष 53 सीटों में भाजपा और झामुमो गठबंधन वास्तव में क्रमशः 23 और 22 सीटों पर जीत के साथ बराबरी पर थे जबकि अन्य दलों ने शेष आठ पर जीत हासिल की।

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