नयी दिल्ली। वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में भारी हंगामे के बीच स्वीकार कर ली गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनकी असहमति टिप्पणियों (डिसेंट नोट्स) को रिपोर्ट से हटा दिया गया, जिसे केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने खारिज कर दिया।
बीजेपी सांसद और समिति की सदस्य मेधा विश्राम कुलकर्णी ने राज्यसभा में वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया और दावा किया कि उनकी असहमति टिप्पणियों को रिपोर्ट से हटा दिया गया है।
जेपीसी अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि समिति ने देशभर में यात्रा कर विभिन्न हितधारकों से इनपुट लिए, जिसके बाद 14 धाराओं में कुल 25 संशोधन किए गए और रिपोर्ट तैयार की गई।
राज्यसभा में प्रमुख घटनाएं:
• जेपीसी रिपोर्ट पेश – बीजेपी सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने छह महीने की विचार-विमर्श प्रक्रिया के बाद वक़्फ़ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने समिति के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य का रिकॉर्ड भी प्रस्तुत किया।
• हंगामे की शुरुआत – रिपोर्ट पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान जब सभापति जगदीप धनखड़ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश पढ़ना चाहते थे, तब भी हंगामा जारी रहा। उन्होंने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से सदस्यों को शांत करने का अनुरोध किया और कहा, “राष्ट्रपति का सम्मान करें।”
• कार्यवाही स्थगित – भारी हंगामे के कारण राज्यसभा को सुबह 11:20 बजे तक स्थगित कर दिया गया। जब सदन दोबारा शुरू हुआ, तब सभापति धनखड़ ने राष्ट्रपति का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने 31 जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में दिए गए अपने अभिभाषण पर सदस्यों के धन्यवाद पत्र को स्वीकार किया।
• विरोध जारी – जैसे ही सभापति ने कार्यवाही आगे बढ़ाई, विपक्षी सांसदों ने फिर से विरोध शुरू कर दिया और कुछ सांसद वेल में आ गए। इस पर सदन के नेता जेपी नड्डा ने खेद जताया कि राष्ट्रपति का संदेश पढ़ते समय सदन में शांति नहीं बनी रह सकी।
• अराजकता का आरोप – सभापति धनखड़ ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नदिमुल हक़, टीएमसी के समीरुल इस्लाम और डीएमके के एम. मोहम्मद अब्दुल्ला ने सदन में अराजकता फैलाई और कार्यवाही में बाधा डाली।
• खड़गे का आरोप – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वक़्फ़ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट से विपक्षी सांसदों की असहमति टिप्पणियों को हटा दिया गया। उन्होंने कहा, “जेपीसी की रिपोर्ट से असहमति नोट हटाकर उसे जबरदस्ती पारित किया गया। यह अलोकतांत्रिक और निंदनीय है।”
• रिपोर्ट वापस लेने की मांग – खड़गे ने रिपोर्ट को “फर्जी” करार देते हुए इसे वापस लेने और फिर से समिति को भेजने की मांग की। उन्होंने कहा, “सांसद व्यक्तिगत कारणों से विरोध नहीं कर रहे, बल्कि उस समुदाय के लिए लड़ रहे हैं जिसके साथ अन्याय हो रहा है।”
• अन्य दलों का समर्थन – डीएमके नेता तिरुचि शिवा और आप सांसद संजय सिंह ने भी खड़गे के दावों का समर्थन किया और असहमति नोट हटाए जाने पर आपत्ति जताई।
• सरकार की सफाई – संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “रिपोर्ट से कोई भी भाग हटाया नहीं गया है। विपक्ष बेवजह मुद्दा बना रहा है। आरोप निराधार हैं।”
• संसद में तीखी बहस – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी विपक्ष पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया, जिससे विपक्षी बेंचों के साथ तीखी बहस छिड़ गई।
• विपक्ष का वॉकआउट – रिजिजू ने दोबारा कहा कि जेपीसी रिपोर्ट में सभी परिशिष्ट (एनेक्सचर) शामिल हैं और कुछ भी नहीं हटाया गया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया और सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ आगे बढ़ी।