जयपुर

मालपुरा में निकली कावड़ यात्रा, कावड़ यात्रा के रास्ते को लेकर विवाद से हुआ था तनाव

जयपुर। टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में शिव कावड़ यात्रा समिति की ओर से निकाली जाने वाली कावड़ यात्रा के रास्ते को लेकर विवाद होने के बाद रविवार को यात्रा का आयोजन किया गया। आयोजनकर्ता यात्रा के नए मार्ग को लेकर सहमत नहीं थे, वहीं दूसरी ओर पुलिस ने इलाके में फ्लैगमार्च किया और दो दिन के लिए मालपुरा और टोडारायसिंह में इंटरनेट बंद कर दिया गया। भाजपा ने कावडय़ात्रा के स्थगित होने के लिए सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति को जिम्मेदार बताया था।

कावड़ यात्रा ट्रक स्टैण्ड, डेयरी चौराहा, व्यास सर्कल, सुभाष सर्कल, गांधी पार्क, ख्वासजी का कटला, माणक चौक होते हुए घाणा के बालाजी पहुंची जहां कावडिय़ों द्वारा जलाभिषेक किया गया। शांतिपूर्ण कावड़ यात्रा निकलने पर प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। कावड़ यात्रा में विधायक कन्हैयालाल चौधरी, जिला प्रमुख सत्यनारायण चौधरी भी कावडिय़ों के साथ रहे।

शिव कावड़ यात्रा समिति के तत्वावधान में तीसरी कावड़ यात्रा बीसलपुर से जल लेकर डीजे की धुन पर रवाना हुई। मालपुरा आगमन से पूर्व टोरडी, अम्बापुरा में विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से कावडिय़ों का स्वागत किया गया। कावड़ यात्रा में सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग के साढ़े तीन सौ जवान, आरएसी की 3 कम्पनियां, एसटीएफ जवानों की दो कम्पनी, जिले के सभी थाना प्रभारी मुस्तैदी से लगे रहे।

जानकारी के अनुसार शिव कावड़ यात्रा समिति के संयोजक विकास शर्मा की ओर से कावड़ यात्रा निकाले जाने को लेकर उपखंड अधिकारी को पत्र सौंपा गया था। उपखंड अधिकारी द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार नवीन मार्ग से कावड़ यात्रा निकाले जाने की स्वीकृति जारी की गई। इस पर शिव कावड़ यात्रा समिति के संयोजक ने शनिवार को उपखंड अधिकारी को परंपरागत मार्ग के विपरीत दी गई स्वीकृति व उसमें लगाई गई शर्तों पर असहमति व्यक्त कर उक्त यात्रा के कार्यक्रम को विरोध स्वरूप निरस्त करने की सूचना प्रशासन को दे दी। इसके बाद से ही प्रशासन की मनमर्जी के चलते कस्बे में तनाव व्याप्त हो गया। इसके बाद पुलिस ने मालपुरा में फ्लैग मार्च भी निकाला।

उल्लेखनीय है कि टोंक का मालपुरा कस्बा कई दशकों से सांप्रदायिक तनाव के लिए जाना जाता है। कुछ समय पूर्व यहां हिंदु समाज के लोगों के पलायन की खबरें भी आई थी। पूर्व में कई बार यहां सांप्रदायिक दंगे हो चुके है। ऐसे में प्रशासन कावड़ यात्रा को लेकर कोई भी जोखिम नहीं लेना चाह रहा है। तनाव की आशंकाओं को दूर करने के लिए ही इस बार यात्रा का मार्ग बदला गया है और नई शर्तें लगाई गई है।

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