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खूनी संघर्ष की राह पर आमेर महल

जयपुर। विश्व प्रसिद्ध और विश्व विरासत स्थल आमेर महल खूनी संघर्ष की राह पर जा रहा है। आमेर में कहा जा रहा है कि कभी भी महल के एप्रूव्ड गाइड और लपकों के बीच संघर्ष हो सकता है। आमेर में इन दोनों के बीच संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन अब कोरोना संकट के कारण पर्यटकों की कमी को देखते हुए यह संघर्ष बढ़ सकता है।

शनिवार को टैफ ने आमेर में तीन लपकों को गिरफ्तार किया था। जानकारी के अनुसार यह टैफ की रुटीन कार्रवाई नहीं थी, बल्कि आमेर के एप्रूव्ड गाइडों की ओर से की गई शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई। संघर्ष की आशंका को देखते हुए हालांकि एप्रूव्ड गाइड इस मामले में बोलने से बच रहे हैं, लेकिन हकीकत भी यही है कि लपकों से हमेशा परेशान रहने वाले गाइड कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद ज्यादा परेशान है।

कोरोना के चलते इन दिनों विदेशी पर्यटकों की आवक नहीं है, लेकिन थोड़े बहुत देशी पर्यटक आमेर महल पहुँच रहे हैं। कहा जा रहा है कि लपके पर्यटकों को जल महल से ही पकड़ना शुरू कर देते हैं। पर्यटकों को आमेर महल पर चढ़ने से पहले शोरूमों पर खरीदारी करा देते हैं और फिर गच्चा देकर फरार हो जाते हैं। ऐसे में जब पर्यटक महल में पहुंचता है और एप्रूव्ड गाइड उन्हें गाइड लेने के लिए कहते हैं तो पर्यटक मना कर देते हैं। इससे पर्यटक आने के बावजूद एप्रूव्ड गाइडों की कमाई नहीं हो पाती है।

कुछ एप्रूव्ड गाइडों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना काल में पहले से ही उनकी कमाई काफी घट गई है, ऐसे में जब रोजी-रोटी का सवाल हो तो फिर संघर्ष की स्थितियां कभी भी बन सकती है। शिकायत करने पर लपकों के साथ रंजिश बढ़ जाती है, लेकिन अब एप्रूव्ड गाइडों को रंजिश की भी परवाह नहीं है। आमेर महल प्रशासन को भी कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन महल प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाता, मानो महल प्रशासन की ओर से लपकों को मौन स्वीकृति मिली हुई है।

कहा यह भी जा रहा है कि पर्यटकों की कमी के बाद महल में घूमने वाले हॉकर जो छोटे मोटे हैण्डीक्राफ्ट के सामान बेचकर अपनी गुजर-बसर करते थे, वह भी अब लपकागिरी में उतर गए हैं। ऐसे में विवाद बढ़ता जा रहा है। कुल मिला कर आमेर महल और उसके आस-पास के इलाके में स्थितियां काफी विस्फोटक है।

हैरानी की बात यह है कि आमेर महल के अधीक्षक पिछले दस वर्षों से इस पद पर तैनात हैं, इसके बावजूद उन्हें यह स्थितियां दिखाई नहीं दे रही है। लॉकडाउन के पहले महल में 200 से अधिक गार्ड तैनात थे। लॉकडाउन के बाद भी करीब 80 से 100 गार्ड ड्यूटी कर रहे हैं। इसके बावजूद महल प्रशासन द्वारा लपकों पर रोक लगाने में नाकाम रहना हैरान कर रहा है। ऐसे में यदि भविष्य में गाइडों और लपकों में कोई संघर्ष होता है तो महल प्रशासन और पुरातत्व विभाग पर अंगुली उठना लाजमी है।

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