ग्रेटर नगर निगम में अब महिला सशक्तिकरण का काम होगा। इसके लिए सबसे पहले पार्षंद पतियों की निगम में एंट्री को बंद किया जाएगा। मंगलवार को एक पार्षंद पति ने महापौर के कक्ष में दंगल कर दिया। इससे नाराज महापौर शील धाभाई ने अपने कक्ष में पार्षंद पतियों (husbands) की एंट्री पर ही बैन लगा दिया।
महापौर धाभाई के कक्ष में एक व्यक्ति आया और लाइटों की शिकायतों को लेकर जोर-जोर से बोलने लगा। धाभाई ने उनसे पूछा कि आप किस वार्डं से पार्षंद हैं, तो उन्होंने कहा कि वह नहीं बल्कि उनकी पत्नि पार्षंद हैं। इस पर धाभाई ने साफ कह दिया कि यदि आपकी पत्नि पार्षद है तो उसे ही निगम में आना होगा, तभी काम हो पाएंगे। उन्होने पार्षदों को भी चेतावनी दे दी कि चिल्लाने से काम नहीं होगा।
धाभाई ने कहा कि उन्होंने बाहर लगवा दिया है कि कोई भी पार्षद पति उनके पास नहीं आएंगे। जो महिला पार्षद (lady councilor) है, उसे ही बात करनी होगी। वह ‘हिंदी, इंग्लिश, मारवाड़ी ‘ किसी भी भाषा में बात करेंगी, मैं समझ लूंगी। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि मैं महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाना चाहती हूं। अगर वह नई पार्षद हैं और काम समझा नहीं पा रही है, तो मैं इशारों में ही समझ जाऊंगी। महिलाओं में लीडरशिप डवलपमेंट (leadership development) तभी संभव होगी। यदि पति उनकी तरफ से बात करते रहे, तो पांच साल बाद भी वह महिला पार्षद चूल्हा-चौका करती मिलेंगी। उनकी पांच साल की राजनीति समाप्त हो जाएगी।
धाभाई ने कहा कि यदि पार्षद पतियों को उनसे मिलना है तो वह आम नागरिक की तरह उनसे मिल सकते हैं, अपने काम आगे रख सकते हैं, लेकिन जनता के काम के लिए महिला पार्षदों को ही आना होगा और समस्याएं सामने रखनी होगी, तभी उनका काम हो पाएगा। इसके बाद इन पार्षद पति ने महापौर से माफी मांगी। उल्लेखनीय है कि आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव भी पार्षद पतियों की निगम के कार्यों में भागीदारी को लेकर पूर्व में आदेश निकाल चुके हैं।