राजनीति

मणि शंकर ‘अइयो’: कांग्रेस के हर मौसम के संकट-पुरुष

नयी दिल्ली। राजनीति के इतिहास में कई ऐसे बयान हैं जो नेताओं के लिए आत्मघाती साबित हुए। अमेरिका के मिट रोमनी का ‘47%’ वाला बयान या हिलेरी क्लिंटन द्वारा ट्रंप समर्थकों को ‘अस्वीकार्य’ कहने वाले बयान इसके उदाहरण हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में शायद सबसे बड़ा आत्मघाती गोल मणि शंकर अय्यर का 2014 का ‘चायवाला’ तंज था, जो उन्होंने तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कसा था।
यह टिप्पणी उस समय आई थी जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। मोदी, जो पहले से ही ‘आम आदमी बनाम विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग’ की छवि गढ़ रहे थे, ने इस तंज को एक मौके की तरह लपक लिया। अय्यर की टिप्पणी ने कांग्रेस के पतनशील ढांचे को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।
2017 में दोबारा दोहराई गलती
अगर 2014 की गलती काफी नहीं थी, तो अय्यर ने 2017 में एक बार फिर ऐसा ही किया। गुजरात चुनाव के दौरान, जब भाजपा को पटेल आरक्षण आंदोलन और दलित विरोध का सामना करना पड़ रहा था, तब अय्यर ने मोदी को ‘नीच आदमी’ कहकर फिर से भाजपा को चुनावी बढ़त दे दी। मोदी ने इस टिप्पणी को गुजराती अस्मिता (गौरव) का मुद्दा बना दिया और भाजपा ने चुनाव में जीत दर्ज की।
कांग्रेस ने अय्यर को पार्टी से निलंबित कर दिया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।
नई कंट्रोवर्सी: राजीव गांधी पर बयान
हाल ही में, अय्यर ने एक और विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने राजीव गांधी की शिक्षा के बारे में कहा कि वे कैम्ब्रिज और इम्पीरियल कॉलेज, लंदन में असफल रहे थे। भाजपा ने इस बयान को कांग्रेस के खिलाफ हथियार बना लिया।
कांग्रेस नेताओं ने अय्यर की आलोचना में देर नहीं की।
• महाराष्ट्र के नाना पटोले ने उन्हें “मानसिक रूप से अस्थिर” कहा।
• हरीश खरे ने उन्हें “हताश” बताया।
• पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें “सरफिरा” कहा।
गांधी परिवार से रिश्ता
मणि शंकर अय्यर का गांधी परिवार से गहरा नाता रहा है। वे राजीव गांधी के करीबी सहयोगी थे और उनके संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने राजीव गांधी की विरासत पर कई किताबें भी लिखी हैं।
हालांकि, अय्यर ने स्वीकार किया कि राहुल गांधी से उनकी सिर्फ एक बार गहन बातचीत हुई है और प्रियंका गांधी से सिर्फ दो बार।
राजनीतिक रुख और विवाद
अय्यर ने हमेशा खुद को ‘धर्मनिरपेक्ष कट्टरपंथी’ बताया है।
• उन्होंने अयोध्या आंदोलन के दौरान राम-रहीम यात्रा निकाली।
• परमाणु हथियारों और आर्थिक उदारीकरण का खुलकर विरोध किया।
• खेल मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी को ‘पैसे की बर्बादी’ बताया था।
राजनीतिक पतन
मणि शंकर अय्यर ने तीन बार मयिलादुतुरई (1991, 1999, 2004) से लोकसभा चुनाव जीता। लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते बिगड़ते गए और वे हाशिये पर चले गए।
कांग्रेस की विफलता?
कांग्रेस एक ऐसी पार्टी होने का दावा करती है जहां विविध विचारों का स्वागत होता है। लेकिन अय्यर जैसे बौद्धिक नेताओं को किनारे कर दिया गया।
अगर कांग्रेस ने उनकी बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल किया होता तो अय्यर को विपक्ष की विदेश नीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती थी। लेकिन इसके बजाय, अय्यर को एक राजनीतिक ‘ग्रेनेड’ बना दिया गया जो समय-समय पर फटता है और पार्टी को नुकसान पहुंचाता है।

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