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नगरीय निकायों में पार्षद पतियों (Corporator’s husband) की दखलंदाजी बेलगाम, कई बोर्डों (Boards) में तो मेयर पतियों (Mayor’s husband) की दखलंदाजी, नगर निगम जयपुर ग्रेटर में पार्षद पतियों की रोकथाम के लिए आयुक्त ने निकाला आदेश

प्रदेश के नगरीय निकायों के कामकाज में में पार्षद ( Corporator) पतियों की दखलंदाजी आम बाता मानी जाती रही है, लेकिन अब इसने महामारी का रूप ले लिया है। हर जगह पार्षद पति या परिवार के अन्य सदस्य निकायों के कार्यों में खुलेआम हस्तक्षेप कर रहे हैं। कई निकायों में मेयर पति भी हस्तक्षेप में पीछे नहीं रहे हैं। नगर निगम जयपुर ग्रेटर की ओर से पार्षदों की सूचनार्थ आदेश निकाला गया है कि महिला पार्षद निकाय कार्यों में स्वय उपस्थित रहें। कहा जा रहा है कि इस आदेश के जरिए महिला पार्षद पतियों व परिवार के अन्य सदस्यों की निगम के कार्यों में दखलंदाजी को कम किया जाएगा।

आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव की ओर से निकाले गए इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि निगम अधिकारी महिला पार्षद पतियों व उनके पारिवारिक सदस्यों की ओर से दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों को नहीं मानेंगे। महिला पार्षदों के पति व परिवार के अन्य सदस्य राजकीय सभा, बैठक, वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी भाग नहीं ले पाएंगे।

आदेश के जरिए आयुक्त ने महिला पार्षदों को ध्यान दिलाया है कि राज्य सरकार के वर्ष 2001 के आदेशों के अनुसार निगम में जो महिला जनप्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुई है, निगम के कार्यकलापों में उनके पति या अन्य नजीदीकी रिश्तेदार सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए अधिक्रत नहीं है। इसलिए सूचित किया जाता है कि किसी भी राजकीय सभा, बैठक, वीडियो कॉन्फ्रेंस स्वयं उपस्थित होकर भाग लेवें।

देखने में तो यह आदेश सामान्य सा लगता है, लेकिन इसके निकालने के समय को लेकर चर्चा चल रही है। निगम के जानकारों का कहना है कि इस आदेश को निकालने का सही समय उस समय था, जब नए बोर्ड का गठन हुआ था। ऐसे में बोर्ड के गठन के करीब छह महीनों बाद इस आदेश को निकालना चर्चा का विषय बन रहा है।

निगम के जानकारों का कहना है कि महिला पार्षदों के पतियों और परिवार के अन्य सदस्यों की निगम के कार्यकलापों में दखलंदाजी का रोग काफी पुराना है। इसी के चलते 2001 में सरकार को यह आदेश निकालना पड़ा था। प्रदेशभर में वर्तमान में बने बोर्डों में भी पार्षद पतियों की भारी दखलंदाजी है। कुछ बोर्डों में तो मेयर पति की भी दखलंदाजी दिखाई देती है बैठकों और धरने-प्रदर्शन में पार्षद पतियों की भागीदारी देखी जा सकती है। सभी मैनेजमेंट पार्षद पतियों के हाथ में होता है।

इसमें सबसे ज्यादा परेशानी अधिकारियों को होती है। जानकारी के अनुसार कुछ समय पूर्व सांगानेर विधानसभा क्षेत्र के मानसरोवर में एक पार्षद पति ने सफाई से जुड़े लोगों को धमकाया था। जिससे नाराज होकर सफाईकर्मियों ने पार्षद के घर के सामने प्रदर्शन कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज में दोनों जगहों पर महिला मेयर हैं। वहीं बड़ी संख्या में महिला पार्षद भी चुन कर आई हैं। इनमें से अधिकांश महिला पार्षद ऐसी हैं, जिनका सक्रिय राजनीति से कोई सरोकार नहीं रहा है, बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्य राजनीति में है। लॉटरी में उनका वार्ड महिला आने पर राजनीति में दखल रखने वाले लोगों ने अपने परिवार की महिलाओं को चुनावों में उतार दिया और पार्षद बनवा दिया। अब ऐसी पार्षदों का पूरा मैनेजमेंट उनके परिवार के पुरुष सदस्य ही देखते हैं।

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