जयपुर

नाहरगढ़ अभ्यारण्य में वाणिज्यिक गतिविधियों (Commercial Activities) पर लगा एनजीटी का ग्रहण, उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर जांच और कार्रवाई कर 6 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

जयपुर से सटे नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में दशकों से चल बे-रोकटोक चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों (Commercial Activities) पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी/NGT) का ग्रहण लग गया है। वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाकर चल रही इन गतिविधियों पर एनजीटी ने संज्ञान लिया है और उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर मामले की जांच करने, कार्रवाई करने और 4 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

अभ्यारण्य में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों के मामले में राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने गुरुवार, 20 मई को यह निर्देश दिए। एनजीटी की ओर से मामले में जांच और कार्रवाई के लिए गठित कमेटी में जयपुर जिला कलेक्टर, वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को शामिल किया है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इसमें नोडल एजेंसी होगी और सभी तरह का सहयोग उपलब्ध कराएगी।

कमेटी को निर्देश दिया गया है कि वह मौके पर जाएगी और परिवाद में वर्णित तथ्यों की जांच कर छह सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट पेश करेगी। परिवादी कमेटी को एक सप्ताह में परिवाद की कॉपी और जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे। इस मामले में अब अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी। कोरोना महामारी के चलते एनजीटी ने परिवादी को ही सभी रेस्पोंडेंट को ई-मेल, वाट्सअप, टेलीग्राम आदि के जरिए नोटिस पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है। वहीं रेस्पोंडेंट को निर्देश दिया गया है कि वह छह सप्ताह में अपना जवाब पेश करे।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट लाइव ने 7 अक्टूबर 2020 को ‘मूक वन्यजीवों की जान दांव पर लगाकर हो रहा पर्यटन का विकास’ खबर प्रकाशित कर सबसे पहले नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला उठाया था। इसके बाद क्लियर न्यूज ने 8 अक्टूबर को ‘नौकरी पर बन आई, अब होगी कार्रवाई’, 10 अक्टूबर को ‘पेड़ कटते रहे, कागजों में वन बढ़ते रहे’, 12 अक्टूबर को ‘वन अधिनियम को चुनौति दे रहा पुरातत्व विभाग’, 14 अक्टूबर को ‘एक शहर, दो फोरेस्ट, एक में प्रवेश शुल्क, दूसरे में निर्बाध आवाजाही’, 15 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामले को रफा-दफा करने में जुटा पुरातत्व विभाग’, 21 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामला एनजीटी में जाने की तैयारी’, 10 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ में वन विभाग को करनी थी पुरातत्व विभाग पर कार्रवाई, मिलीभगत से ठेलेवालों को भगाया’, 11 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ अभ्यारण्य में अवैध निर्माण का टेंडर जारी, वन विभाग को टके सेर नहीं पूछ रहा आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण’ खबरें प्रकाशित कर अभ्यारण्य में उड़ रही वन एवं वन्यजीव अधिनियम की धज्जियां, नाहरगढ़ पर अवैध कब्जों और वनस्पति का कटान, अवैध निर्माण, वन्यजीवों की सुरक्षा, अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को उजागर किया था।

अभ्यारण्य मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की महत्ता सभी ने जान ली है। नाहरगढ़ अभ्यारण्य जयपुर के लोगों के लिए ऑक्सीजन उत्पादन की बड़ी फैक्ट्री के समान है। पर्यटन विकास के नाम पर इस अभ्यारण्य को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा था इसलिए हम एनजीटी तक इस मामले को लेकर गए हैं। हम चाहते हैं कि यहां अवैध वाणिज्यिक गतिविधियां रुकें, वन एवं वन्यजीव अधिनियम की पूरी पालना हो, पर्यटन विकास के लिए वन क्षेत्र को उजाड़ना बंद हो और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो ताकि यह मामला नजीर बन सके।

वन एवं पर्यावरण विशेषज्ञ कमल तिवाड़ी ने कहा कि कोई भी अभ्यारण्य वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बनाया जाता है। अभ्यारण्य में वाणिज्यिक गतिविधियां करना अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में एनजीटी द्वारा जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, अब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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