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नाहरगढ़ फोर्ट (Nahargarh Fort) पर एक्शन में वन विभाग (forest Department), सूर्यास्त (sunset) से पहले पर्यटकों को बाहर निकाला, शाम के समय फोर्ट पर जाने वाले वाहनों को कनक घाटी से वापस किया

नाहरगढ़ अभ्यारण्य का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में जाते ही वन विभाग (forest department) की नींद खुल गई है और विभाग नाहरगढ़ फोर्ट (Nahargarh Fort) को लेकर एक्शन में आ गया है। शनिवार शाम को वन विभाग का अमला नाहरगढ़ फोर्ट पहुंचा और वहां मौजूद सभी पर्यटक वाहनों को अभ्यारण्य से बाहर निकल निकाल दिया। इस दौरान पुरातत्व विभाग और आरटीडीसी के अधिकारी-कर्मचारी मूकदर्शक बने रहे। वन विभाग की इस कार्रवाई से पुरातत्व और आरटीडीसी में हड़कंप मच गया है।

वन विभाग की नाहरगढ़ रेंज के सभी अधिकारी और कर्मचारी शाम 5 बजे के करीब नाहरगढ़ फोर्ट पहुंचे और उन्होंने फोर्ट के अंदर घूम रहे पर्यटकों को निर्देशित करना शुरू कर दिया कि अभ्यारण्य में घूमने का समय समाप्त हो गया है, इसलिए आप सभी अभ्यारण्य से बाहर निकल जाएं। कुछ ऐसी ही मुनादी फोर्ट पर चल रहे रेस्टोरेंटों, आरटीडीसी की बीयर बार और वैक्स म्यूजियम के बाहर भी की गई। वन अधिकारियों के अनुसार इस दौरान करीब 70-80 वाहनों में पर्यटक फोर्ट पहुंचे हुए थे, जिन्हें बाहर निकाला गया।

इस कार्रवाई के दौरान वन विभाग की का एक वाहन कनक घाटी से फोर्ट तक पेट्रोलिंग कर रहा था और रास्ते में जितने भी वाहन खड़े थे, उन्हें बाहर अभ्यारण्य से बाहर निकाल दिया गया। नाहरगढ़ रेंज के एसीएफ (ACF) जीएस जैदी ने बताया कि विभाग का एक गश्ती दल कनक घाटी से नाहरगढ़ और जयगढ़ जाने वाले तिराहे पर तैनात रहा और शाम के समय जंगल में जाने वाले वाहनों को वहीं से ही वापस कर दिया गया, क्योंकि शाम के समय अभ्यारण्य में प्रवेश करने वाले लोग जंगल में आए दिन शराब पार्टियां आयोजित करते हैं और खाली बोतलें फोड़कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जैदी ने बताया कि वन एवं वन्यजीव अधिनियम के अनुसार सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पूर्व अभ्यारण्य में किसी का भी प्रवेश वर्जित है, क्योंकि यह समय वन्यजीवों के भ्रमण का होता है। इस समय यदि लोग अभ्यारणय में पहुंचते हैं तो वन्यजीवों के स्वछंद विचरण पर प्रभाव पड़ता है और उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है।

अभी कर रहे समझाइश

जैदी का कहना है कि पहली कार्रवाई में सिर्फ समझाइश की गई। तय समय से अधिक समय तक अभ्यारण्य में रहने या बिना इजाजत प्रवेश करने पर जुर्माने व अन्य दण्डात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। आगे भी कुछ दिनों तक सिर्फ समझाइश की जाएगी। उसके बाद दण्डात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। अभी सिर्फ पर्यटको को समझाइश से बाहर निकाला गया है।

अभ्यारण्य के सभी रास्तों पर वन विभाग के चेतावनी बोर्ड लगे हैं, लेकिन लोग वन कानूनों का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे थे। जिस रास्ते पर कार्रवाई की गई, वह अभ्यारण्य में जाने का रास्ता है और इस रास्ते को आम रास्ता बना दिया गया था। हम यही चाहते हैं कि इस रास्ते पर कानून के मुताबिक आना-जाना हो।

विभाग की यह कार्रवाई नाकाफी
अभ्यारण्य में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर एनजीटी (NGT) में परिवाद पेश करने वाले राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि वन विभाग की यह अच्छी पहल है कि उन्हें चार दशक बाद अपने नियम-कानूनों का तो ध्यान आया। दशकों से अभ्यारण्य में वन और वन्यजीव अधिनियम की धज्जियां उड़ रही थी और विभाग के अधिकारी धृतराष्ट्र बने बैठे थे। विभाग की यह कार्रवाई नाकाफी है।

रोज इस तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि वन विभाग अभ्यारण्य के अंदर जाने वाले सभी रास्तों पर अपने गेट लगाकर चैकपोस्ट स्थापित करे, तभी बेवजह अभ्यारण्य में प्रवेश करने वालों पर रोक लगेगी। पर्यटकों को अभ्यारण्य और फोर्ट घूमना होगा तो वह शुल्क चुकाकर प्रवेश कर पाएंगे। इससे विभाग को भी आय होगी, जो अभ्यारण्य के विकास और विस्तार के काम आएगी।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने सबसे पहले नाहरगढ़ अभ्यारण्य में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला उठाया था और लगातर इस मामले में खबरें प्रकाशित कर वन विभाग की लापरवाहियों को उजागर किया था। इसके बाद इस मामले में एनजीटी में परिवाद लगा और एनजीटी ने यहां अवैध गतिविधियों की जांच के लिए जिला कलेक्टर, वन विभाग और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की संयुक्त हाईपॉवार कमेटी का गठन किया। कमेटी अभ्यारण्य और फोर्ट का दौरा कर चुकी है और अब कमेटी की ओर से एनजीटी को जांच रिपोर्ट पेश की जानी है। जांच रिपोर्ट पेश होने से पहले ही वन विभाग हरकत में आ गया है।

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