नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary) में अवैध व्यावसायिक गतिविधियों के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तीन सदस्यीय हाई पॉवर कमेटी बनाकर 4 सप्ताह में जांच और कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था, लेकिन लगता नहीं है कि हाईपॉवर कमेटी कोई काम कर रही है। एनजीटी (NGT) के आदेश को आए तीन सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन अभी तक न तो कमेटी ने नाहरगढ़ का दौरा किया और न ही कोई कार्रवाई की है। मामले से जुड़े पक्षकारों ने भी अभी तक कमेटी को अपने जवाब पेश नहीं किए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि कहीं बंद कमरों में जांच कर रिपोर्ट एनजीटी में पेश नहीं कर दी जाए।
नाहरगढ़ प्रकरण में परिवादी (complainant) राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से बुधवार को कमेटी के तीन सदस्यों जिला कलेक्टर, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सचिव को ज्ञापन भेजकर उनकी व्यक्तिगत सुनवाई करने और नाहरगढ़ दौरे में शामिल करने की मांग की है।
तिवाड़ी का कहना है कि एनजीटी के निर्देशों के अनुसार नाहरगढ़ मौका रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कमेटी के साथ उनका रहना जरूरी है, क्योंकि इस मामले में जिम्मेदार विभागीय अधिकारी तथ्यों को छिपाने और समिति सदस्यों को गुमराह करने का प्रयास करेंगे, ऐसे में उन्हें अंदेशा है कि जांच रिपोर्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। इस लिए उन्होंने मौका रिपोर्ट के लिए होने वाले कमेटी के दौरे और व्यक्तिगत सुनवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि कमेटी को पूरे तथ्यों से अवगत कराया जा सके।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में वन विभाग के अलावा पुरातत्व विभाग, आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, आरटीडीसी, जयपुर डिस्कॉम, जलदाय विभाग के साथ कुछ निजी फर्मों को भी कमेटी को अपने जवाब पेश करने हैं। अभी तक किसी भी विभाग ने कमेटी को जवाब पेश नहीं किया है।