जयपुर। राजस्थान में सरकार की ओर से शुरू किए जाने वाले प्रशासन शहरों के संग अभियान में जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन में बसी कॉलोनियों के निवासियों को पट्टे जारी करने यानी नियमन (regulation) करने पर अघोषित रोक (ban) लगा रखी है। इस रोक के खिलाफ एनजीटी ने जेडीए को नोटिस जारी किया है और मामले की तह में जाने के लिए जांच कमेटी (inquiry committee) बनाई है।
शिव नगर विकास समिति, गुर्जर घाटी के अध्यक्ष राजेंद्र तिवाड़ी द्वारा इस संबंध में एनजीटी में जन हित याचिका दायर की गई। जिसमें जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा इको सेंसेटिव जोन में आवासीय कालोनी में नियमन पर लगाई गई अघोषित रोक का विरोध किया गया। मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नोटिस जारी कर संबंधित वन विभाग, पर्यावरण विभाग की संयुक्त कमेटी बनाकर जांच रिपोर्ट बनाने एवं कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वहीं एनजीटी ने जयपुर विकास प्राधिकरण से जवाब तलब किया है, कि ईको सेंसेटिव जोन में आवासीय पट्टे क्यों नहीं दिए जा रहे हैं।
राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि जयपुर शहर की लगभग 70-80 आवासीय कालोनियां, जिनका इको सेंसेटिव जोन में आने के कारण नियमन नहीं हो रहा है। यदि शिव नगर विकास समिति द्वारा दायर जनहित याचिका में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय लिया जाता है, तो जयपुर शहर की इन सभी कालोनियां के नियमन का फायदा पहुंचेगा।
तिवाड़ी ने बताया कि ईको सेंसेटिव जोन की गाइडलाइन के अनुसार इस जोन में वाणिज्यिक गतिविधियां नहीं हो सकती है। ईको सेंसेटिव जोन में आने वाली राजस्व भूमि पर लोगों को रहने का और अपने निवास बनाने का अधिकार है। ऐसे में यहां बसी कॉलोनियों के निवासियों को पट्टे प्राप्त करने का भी अधिकार है। जेडीए ने ईको सेंसेटिव जोन की गाइडलाइन की सिरदर्दी के चलते यहां पट्टे देने पर अघोषित रोक लगा रखी है, जो गलत है।