मुस्लिम नहीं ओबीसी वोटर तय करेंगे राजस्थान में किसकी बनेगी सरकार
जयपुर। राजस्थान की राजनीति में हड़कंप मचाने वाल एआईएमआईएम अब प्रदेश में चुनावी मोड में आ चुकी है। पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को जयपुर की मुस्लिम बाहुल्य सीटों किशनपोल और हवामहल विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया। देर शाम ओवैसी का फतेहपुर पहुंचने का भी कार्यक्रम है। इसके बाद वे कल लाडनूं में जनसभा को संबोधित करेंगे।
ओवैसी ने जयपुर के जालूपुरा में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए देश के कई मुद्दों पर चर्चा की। ज्ञानवापी केस का जिक्र करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘ज्ञानव्यापी मामले में कोर्ट का फैसला गलत है। इस फैसले से अब और भी मामले हम लोगों के सामने आएंगे। ओवैसी बुधवार से प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं और केवल जयपुर में ही नहीं बल्कि प्रदेश के 5 जिलों का दौरा करेंगे। ओवैसी ने जयपुर में जनसंपर्क करके अपनी पार्टी के राजस्थान में चुनाव प्रचार अभियान का आगाज़ किया। ओवैसी की नजर प्रदेश के उन विधानसभा क्षेत्रों पर है, जो मुस्लिम बाहुल्य है। देखने वाली बात यह होगी कि ओवैसी
प्रदेश में मुस्लिम वोटरों का नहीं होगा बंटवारा
बिहार विधानसभा चुनावों के बाद से कहा जा रहा था कि राजस्थान में एआईएमआईएम की एंट्री से विधानसभा चुनाव में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं। ओवैसी की पार्टी राजस्थान में आकर मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाएगी और इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा, लेकिन बंगाल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं और कहा जा रहा है कि देश में वर्तमान में चल रहे धार्मिक मुद्दों और बंगाल, उत्तर प्रदेश में ओवैसी की पार्टी को मिली शिकस्त को देखते हुए राजस्थान में भी मुस्लिम वोटर कांग्रेस के समर्थन में खड़ा दिखाई देगा। बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनावों में मुस्लिम वोटरों ने गजब की एकजुटता दिखाई और बंगाल में ममता बनर्जी की टीमसी और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का साथ दिया। मुस्लिम वोटरों ने ओवैसी की पार्टी की तरफ देखा भी नहीं।
आम नहीं हो पाएगी खास
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की नजर भी राजस्थान के मुस्लिम वोटरों पर है, लेकिन वह भी मुस्लिम वोटरों में सेंध नहीं लगा पाएगी, क्योंकि मुस्लिम मतदाता राजनीतिक दृष्टी से काफी परिपक्व हैं और बंगाल व उत्तर प्रदेश की तरह उसी पार्टी के साथ जाएंगे, जो सरकार बनाने में सक्षम हो। वैसे राजस्थान के चुनावों से पूर्व गुजरात के चुनावों में आम आदमी पार्टी का दम दिखाई दे जाएगा। गुजरात में आम आदमी पार्टी नंबर दो पार्टी बनने के ख्वाब देख रही है।
ओबीसी वोटर होंगे निर्णायक
जानकारों का कहना है कि मुस्लिम वोटर तो कांग्रेस के साथ रहेंगे, लेकिन राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला प्रदेश के ओबीसी वोटर करेंगे। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में ओबीसी के वोटरों की ताकत सभी देख चुके हैं। एक बार तो ओबीसी विधायकों ने भाजपा के बड़े नेताओं तक के पसीने छुड़ा दिए थे, जबकि वह एक-एक करके सपा के साथ जाने लगे थे। उसी समय से ही देशभर में ओबीसी वर्ग जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अभी तक ओबीसी जातियों को उनकी आबादी के हिसाब से राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है। एक मोटे अनुमान के अनुसार राजस्थान में ओबीसी वोटरों की संख्या 68 से 70 फीसदी है, लेकिन उस हिसाब से उनके विधायक और सांसद नहीं है। प्रदेश में ओबीसी में आने वाले जाट और गुर्जर समाज को कांग्रेस और भाजपना ने उचित प्रतिनिधित्व दे रखा है, लेकिन दो प्रमुख जातियां माली और कुमावत समाज अभी तक राजनीतिक दृष्टी से सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश के चुनावों से सबक लेते हुए अब राजस्थान में भाजपा का फोकस ओबीसी में पिछड़े हुए माली और कुमावत समाज के वोटरों पर है। हाल ही में भाजपा ने जोधपुर में ओबीसी सम्मेलन किया था। पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने ओबीसी वर्ग को संगठन में भी काफी पद देकर उन्हें आगे लाने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक माली और कुमावत समाज पर फोकस करना शुरू नहीं किया है।