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पानी बचाने के तरीके सीखने के लिए जल पर्यटन पर जाएंगे जलदाय विभाग के अधिकारी

पेयजल की बेस्ट प्रेक्टिसेज का अन्य राज्यों में जाकर करेंगे अध्ययन

जयपुर। राजस्थान जैसे मरुस्थलीय प्रदेश में पानी की अहमियत बच्चा—बच्चा जानता है कि पानी को कैसे बचाना है, लेकिन अब पानी बचाने के तरीके सीखने के लिए जलदाय विभाग के अधिकारी दूसरे प्रदेशों में जाकर पेयजल की बेस्ट प्रेक्टिसेज का अध्ययन करेंगे।

जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा है कि अन्य राज्यों के शहरी एवं ग्रामीण पेयजल नेटवर्क की बेस्ट प्रेक्टिसेज का अध्ययन करने के लिए राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों के दल को अन्य प्रदेशों में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों को समुचित मात्रा में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति हमारी पहली प्राथमिकता है, इसे अधिक बेहतर बनाने के लिए दूसरे प्रदेशों के अनुभवों का लाभ लिया जाएगा।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान में विषम भौगोलिक स्थितियों के साथ ही सतही पेयजल स्रोत और भूजल की कमी को देखते हुए हमें इस तरह की रणनीति बनानी होगी, जिससे प्रदेशवासियों की पेयजल की आवश्यकता पूरी की जा सके। इसके लिए विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के साथ ही उन्हें समय पर पूरा कराने के प्रयास करने होंगे।

डॉ. अग्रवाल बुधवार को सचिवालय में जलदाय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जल जीवन मिशन सहित विभिन्न परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड व रुस-यूक्रेन युद्ध के कारण उपजी परिस्थितियों में विभाग द्वारा संचालित विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी को कवर करने के लिए अब योजनाबद्ध तरीके से कार्य जरूरी है। वर्तमान में उपजी परिस्थितियों के कारण परियोजनाओं की लागत में वृद्धि को लेकर आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर उच्च स्तर पर विचार किया जा रहा है।

अग्रवाल ने विभाग के फील्ड में तैनात अधिकारियों को गर्मियों में पेयजल वितरण व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए ‘प्रो-एक्टिव‘ तरीके से कार्य करने के निर्देष दिए। उन्होंने बैठक में भारत सरकार, विभाग तथा अन्य विभागों के स्तर पर लम्बित मुद्दों के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली और इस सम्बंध में आवष्यक निर्देष प्रदान किए।

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