हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुछ लोग धोती में साथ चलते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो पीएम मोदी के केरल दौरे के गरूवयूर मंदिर का हैं। इस वीडियो में धोती पहने हुए लोग कौन हैं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के इतने करीब एसपीजी कमांडो ही हो सकते हैं और कोई नहीं।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए होता है। विशेष परिस्थितियों में इन्हें प्रधानमंत्री के परिवार और पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए भी लगाया जाता है। आधिकारिक तौर पर इसका गठन 8 अप्रैल 1985 को संसद के एक अधिनियम से किया गया था। वर्तमान में एसपीजी के एजेंसी हेड आलोक कुमार शर्मा हैं।
एसपीजी फोर्स में 3000 सिक्योरिटी पर्सनल हैं, जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और हथियारों से लैस होते हैं। एसपीजी अपने आदर्श ‘शौर्यम् समर्पणम् सुरक्षणम्’ (बहादुरी, समर्पण और सुरक्षा) के लिए जाना जाता है। इन कमांडो का यूनिफॉर्म कोड काले रंग का होता है।
इंदिरा गांधी की हत्या से हुई शुरुआत
साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के सिक्योरिटी गार्ड ने कर दी थी। इसके बाद प्रधानमंत्री जैसे जरूरी पदों पर बैठे महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा जरूरी मुद्दा बन गई। साल 1985 में इस मुद्दे को देखते हुए बीरबल नाथ कमेटी बनाई गई। कमेटी ने एक विशेष सुरक्षा इकाई बनाने का प्रस्ताव दिया। 8 अप्रैल 1985 को एसपीजी का गठन किया गया।
इसके बाद 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट लाया गया, तब तक इस एक्ट में पूर्व प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा देने से जुड़ा कोई नियम शामिल नहीं किया गया था। साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इस एक्ट में एक बार फिर बदलाव किया गया और इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के लिए एसपीजी सुरक्षा से जुड़े प्रोविजन शामिल किए गए। शुरुआत में प्रधानमंत्री के पद से हटने के 10 साल बाद तक सुरक्षा दिए जाने का प्रोविजन था। साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस एक्ट में बदलाव कर इसे 10 साल से 1 साल कर दिया।
2003 में ही इसमें संशोधन किया गया, जिसके अनुसार 1 साल पूरा होने पर, एसपीजी सुरक्षा को खत्म करने या उसको बढ़ाने का फैसला केंद्र सरकार ले सकती है। इस फैसले को केंद्र से जुड़े व्यक्ति पर खतरे के आधार पर लिया जा सकता है। साथ ही इसमें यह प्रोविजन है कि पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार वाले चाहें तो एसपीजी सुरक्षा से इनकार भी कर सकते हैं।
एडीजी रैंक का ऑफिसर संभालता है कमान
सितंबर 2023 में जारी गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, एसपीजी के अध्यक्ष पद पर भारतीय पुलिस सेवा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यानी एडीजी से कम रैंक का ऑफिसर नियुक्त नहीं हो सकता। इससे पहले तक, एसपीजी चीफ पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) रैंक के ऑफिसर भी हो सकते थे।
एसपीजी कमांडो बनने की योग्यताएं
एसपीजी कमांडो बनने के लिए कोई ओपन एग्जाम नहीं करवाया जाता है। कमांडोज का चयन भारतीय पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस या भारतीय सेना से किया जाता है। इसके अलावा –
कैडेट की उम्र 35 साल से अधिक न हो।
फिजिकल फिटनेस हो और लंबाई और वजन के स्टैंडर्ड पूरे करता हो।
आंखें (नजर) परफेक्ट हों।
वेपन हैंडलिंग और कॉम्बैट में स्किल्ड हो।
शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से फिट हो।
कैसे होता है कमांडो का सलेक्शन
मिलिट्री या पैरा मिलिट्री से बैकग्राउंड रखने वाले कैंडिडेट्स को एक रिटन एग्जाम, फिजिकल फिटनेस टेस्ट, मेडिकल एग्जाम और इंटरव्यू पास करना होता है।
4 विंग्स में बंटा होता है काम
एसपीजी कमांडो के ऊपर हर स्थिति में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा होता है। हालांकि, सिक्योरिटी के कई सारे स्टैंडर्ड हैं और सभी मोर्चों पर एक एसपीजी कमांडो काम नहीं कर सकता इसलिए इसे 4 हिस्सों में बांटा गया है।
1. ऑपरेशन एंड कम्यूनिकेशन विंग
यह विंग कोर सिक्योरिटी ऑपरेशंस का जिम्मा संभालती है। इसमें वे कमांडो होते हैं, जो प्रधानमंत्री के चारों ओर खड़े होते हैं और आसपास नजर बनाए रखते हैं। ये किसी भी विपरीत परिस्थिति में फायरिंग कर सकते हैं। इन्हें शूटिंग के लिए ऑर्डर की जरूरत नहीं होती।
ये कमांडो पीएम की हर एक्टिविटी से अपडेटेड रहते हैं और अपने साथी कमांडो को अपडेट देने के लिए हाई विंग टेक्नोलॉजी से लैस होते हैं। इस विंग में कमांडो उन हाई-टेक बुलेटप्रूफ गाड़ियों को चलाने के इंचार्ज होते हैं, जिनमें प्रधानमंत्री होते हैं। ऐसी गाड़ियों को चलाने के लिए खास ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
इन कमांडो के पास बुलेटप्रूफ चश्मा और फायर प्रूफ यूनिफॉर्म होती है। इन गाड़ियों में हैवी इंजन होता है, जो बहुत ही कम समय में 0-250 की स्पीड तक पहुंच सकता है। साथ ही, इसके हैवी टायर बंदूक की गोली से पंक्चर होने पर भी कार को कम से कम 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चला सकते हैं।
2. आईटी एंड सपोर्ट विंग
आईटी एंड सपोर्ट विंग टीम को टेक्निकल सपोर्ट और लॉजिस्टिक असिस्टेंस देता है। सिक्योरिटी से संबंधित टेक्नोलॉजी और कम्यूनिकेशंस चैनल को मेनटेन रखना और अपग्रेड करना इस विंग का काम है। इसकी जिम्मेदारी है कि ऑपरेशन टीम बिना किसी परेशानी के फंक्शन कर सके।
3. इंटेलिजेंस विंग
इंटेलिजेंस विंग का काम प्रधानमंत्री की सुरक्षा से संबंधित खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और इसे एनालाइज करना है। यह संभावित खतरों पर नजर रखने के लिए अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है।
4. ट्रेनिंग विंग
आखिर में ट्रेनिंग विंग है, जहां सभी एसपीजी कमांडोज को कॉम्बैट रेडी रहने की ट्रेनिंग दी जाती है। एसपीजी चीफ ही ट्रेनिंग के इंचार्ज होते हैं। कमांडोज को फिजिकल फिटनेस, निशानेबाजी, टेक्टिकल स्क्लिस जैसी कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। इसी विंग्स से कमांडोज बाकी विंग्स में भेजे जाते हैं।