दिल्लीराजनीति

पीएम मोदी के 98 मिनट के भाषण में छिपे हैं ये 5 संदेश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (एससीसी) की जोरदार वकालत करते हुए भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का संकल्प व ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना साकार करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं व अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता भी जताई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार सत्ता में आने के बाद गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगा फहराया। लाल किले की प्राचीर से उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने लाल किले से एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। उन्होंने 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का सबसे लंबा भाषण दिया।
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 98 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया। यानी उन्होंने डेढ़ घंटे से ज्यादा का भाषण दिया। इससे पहले उन्होंने साल 2016 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 96 मिनट का भाषण दिया था। लेकिन आज उन्होंने 98 मिनट का भाषण देकर अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पीएम मोदी का सबसे छोटा संबोधन साल 2017 में था, जब उन्होंने करीब 56 मिनट तक भाषण दिया था।
पीएम मोदी ने अपने भाषण से कई तरह के संदेश दिए और साफ तौर पर अपनी प्राथमिकताओं को बताया।हिंदुओं के मुद्दे पर उन्होंने बांग्लादेश की सरकार को साफ संदेश दे दिया। वहीं देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चल रही कार्रवाई को लेकर भी साफ संदेश देने का काम किया। सरकार की तरफ से जारी सुधारों को लेकर भी पीएम मोदी पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिखें। शिक्षा और रोजगार के मुद्दे को भी पीएम मोदी ने अपने लाल किले से संबोधन में प्रमुखता से रखा।
बांग्लादेश को दिया संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यह भी कहा कि बांग्लादेश की विकास यात्रा को लेकर शुभेच्छा रहेगी। मोदी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू, अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो।’ उन्होंने कहा, ‘भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, हमारे संस्कार हैं आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा के लिए हमेशा हमारी शुभेच्छा रहेगी, क्योंकि हम मानव जाति की भलाई के बारे में सोचने वाले लोग हैं।’
रिफॉर्म के मुद्दे पर दिखायी प्रतिबद्धता
पीएम मोदी के भाषण को गौर से सुना जाए तो उसमें एक नया अजेंडा शामिल दिखता है। उनके भाषण के इस अंश पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने जाहिर किया कि लोकल सेल्फ गवर्नेंस और स्टेट लेवल पर अगर तेजी से काम नहीं होगा, तो भारत के महत्वाकांक्षी अजेंडा को पाने में बहुत समस्याएं आ सकती हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने भाषण में गवर्नेंस की 3 लाख यूनिट्स का जिक्र किया। ये लाखों यूनिट्स दो-दो रिफॉर्म्स भी करें, तो 30 लाख रिफॉर्म हो सकते हैं। पीएम मोदी ने अपने भाषण में रिफॉर्म पर भी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि सरकार के सुधार पिंक पेपर के भारी भरकम आर्थिक खबर बनाने वाले घटनाक्रम नहीं हैं। यह बहुत गहराई वाला काम होने वाला है। इसके लिए नए किस्म के रिफॉर्म आएंगे, जो हर इंसान की जिंदगी पर बहुत असर डालेंगे। पीएम मोदी ने न्यायिक सुधार को लेकर जनता की राय की भी बात की।
विपक्ष पर साधा निशाना
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार की प्रमुख एंजेंडों में शामिल रहा है। पिछले लोकसभा के चुनाव के दौरान भी बीजेपी ने इसे मजबूती से उठाया था। पीएम मोदी के भाषण से दूसरी बड़ी हेडलाइन यह निकली है कि जो लोग भारत की तरक्की से परेशान, निराशावादी हैं,भ्रष्टाचारवादी हैं, परिवारवादी हैं, उन पर उनका हमला जोर शोर से रहने वाला है। पीएम मोदी की इस चेतावनी को पिछले दिनों के घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा सकता है।पीएम मोदी ने बिना नाम लिए हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्ट के बाद देश में विपक्षी दलों के नकारात्मक राजनीति पर हमला बोला।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जोरदार वकालत
बार-बार चुनाव से देश की प्रगति में गतिरोध पैदा होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की ओर से की गई किसी भी योजना की घोषणा को अक्सर चुनावी नफे-नुकसान से जोड़ दिया जाता है। उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस बारे में देश में व्यापक चर्चा हुई है, सभी राजनीतिक दलों ने अपने विचार रखे हैं और इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट भी तैयार की है।
उन्होंने कहा, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए देश को आगे आना होगा। मैं लाल किले से देश के राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं, देश के संविधान को समझने वाले लोगों से आग्रह करता हूं कि भारत की प्रगति के लिए, भारत के संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, ‘वन नेशन, वन इलेक्शनश् के सपने को साकार करने के लिए आगे आएं।श्श् बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने वहां जल्द सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद जताई।
शिक्षा रोजगार और क्षेत्रीय राजनीति को साधने की कोशिश
पीएम मोदी ने अपने भाषण में शिक्षा रोजगार पर फोकस किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने कहा कि बिहार में गौरव का इतिहास रहा है, यहां हमने नालंदा यूनिवर्सिटी का पुर्ननिर्माण किया है। नालंदा यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर से काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर से एक बार सदियों पुरानी उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा।नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को लेकर के बड़े विश्वास के साथ विश्व की ज्ञान की परंपराओं को नई चेतना देने का काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा की नई शिक्षा नीति पर कई राज्यों ने अच्छे कदम उठाए हैं। इसके कारण 21वीं सदी के अनुरूप अपनी शिक्षा व्यवस्था को जो हम बल देना चाहते हैं और विकसित भारत के लिए जिस प्रकार से मानव समूह को तैयार करना चाहते हैं उसमें नई शिक्षा नीति की बड़ी भूमिका है।
आदिवासी राजनीति का ख्याल
पीएम मोदी ने बिरसा मुंडा के मार्फत आदिवासी राजनीति को साधने की भी कोशिश की। पीएम ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती आ रही है, ये हम सबके लिए प्रेरणा का कारण बने समाज के प्रति एक छोटे से छोटा व्यक्ति कैसा जज्बात रखता है, उससे बड़ी और कहां से मिल सकती है। उनकी जयंती आ रही है, उनकी 150वीं जयंती जब हम मनाए तो समाज के प्रति हमारा ममभाव बढ़े, हम समाज के सभी गरीबों, दलितों, आदिवासियों को अपने साथ लेकर चलें।

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