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पीएम मोदी (PM Modi) ने गंगा (Ganga) में लगाई डुबकी (dip), फिर किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का लोकार्पण

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) आज, सोमवार 13 दिसम्बर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor)का लोकार्पण किया। इसके लिए वे क्रूज से वाराणसी के ललिता घाट पहुंचे और वहां उन्होंने सीधे गंगा (Ganga) में डुबकी (dip) लगाकर स्नान कर सूर्य नमस्कार किया। गंगा में डुबकी लगाने के बाद उन्होंने गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया और गर्भगृह में बाबा का जलाभिषेक किया।

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद उन्होंने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ लोगों को संबोधित किया किया। मोदी ने कहा, ‘अभी मैं बाबा के साथ-साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूँ, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं। काशी में कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘ आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। आज विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि, एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। पहले मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था लेकिन  अब यह करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं।’

पीएम ने काशी के लोगों को अपने साथ जोड़ते हुए कहा काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है।

उन्होंने कहा कि मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के विपरीत काल में भी, उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वाराणसी ने युगों को जिया है,  इतिहास को बनते और बिगड़ते देखा है। कितने ही कालखंड आये, कितनी ही सल्तनतें उठी और मिट्टी में मिल गई। फिर भी बनारस बना हुआ है। बनारस अपना रस बिखेर रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए,  इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है, जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। उन्होंने कहा कि यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद और एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। ये हमारी भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक आत्मा, भारत की प्राचीनता, परंपराओं, भारत की ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतीक है। 

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