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पीओके की वापसी तय..! पहाड़ों में जीत के लिए भारतीय सेना की ये है रणनीति

पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में इन दिनों पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। ये प्रदर्शन पाकिस्तान से आजादी के लिए हो रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि पीओके के लोग पाकिस्तान सरकार की दमनकारी नीतियों से बेहद नाराज हैं।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में इन दिनों पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि पीओके के लोग भी एक दिन पाकिस्तान के चंगुल से आजाद हो जाएंगे। ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत पाकिस्तान ने कबायलियों की मदद से जम्मू-कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया। भारत अगर उस वक्त संयुक्त राष्ट्र नहीं जाता तो आज हालात कुछ और होते। पीओके रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी अहम है। यह जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसमें पश्चिम में पाकिस्तान का पंजाब और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत यानी खैबर-पख्तूनख्वा, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान का लाखन हॉल और उत्तर में चीन का शिंजियांग प्रांत शामिल है। करीब 13 हजार वर्ग किमी के इस इलाके में तकरीबन 30 लाख आबादी रहती है।
क्या पीओके हासिल करना आसान है
डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, पीओके हासिल करना इतना आसान नहीं है। 2019 में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने बयान दिया था कि पीओके को हासिल करना बेहद मुश्किल है। 9 अगस्त, 2023 को एक लेख में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने भी कहा था कि आज के जमाने में टू-फ्रंट वॉर कोई नहीं जीत पाया है। अगर पीओके के लिए जंग होगी तो उसमें सिर्फ पाकिस्तान से जंग नहीं होगी, उसमें चीन भी कूदेगा। रूस को यूक्रेन से जंग करते दो साल से ज्यादा वक्त हो गया, मगर वह अभी तक यूक्रेन को हरा नहीं पाया। वहीं, 7 महीने से ज्यादा का समय हो गया छोटे से गाजा पट्टी में हमला करते हुए, मगर इजरायल को अभी तक कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में पीओके भी हासिल करना उतना आसान नहीं होगा।
पहाड़ों की लड़ाई में सेना क्या अपनाती है रणनीति
डिफेंस एक्सपर्ट की माने तो पीओके में जंग होती है तो यह कतई आसान नहीं होगी। अगर मैदानों में किसी जमीन के टुकड़े को कब्जा करने के लिए दुश्मन के 100 सैनिक हैं तो हमारी सेना को उन्हें खदेड़ने के लिए 100 के मुकाबले 300 जवान लगाने पड़ते हैं। वहीं पहाड़ों में यह अनुपात तीन गुना बढ़ जाता है। यानी पहाड़ों में दुश्मन के 100 जवानों से मुकाबला करने के लिए हमें 900 सैनिकों को तैनात करना पड़ता है।
2035 तक पाकिस्तान-चीन से जंग की भविष्यवाणी
8 जुलाई, 2013 में चीन के सरकारी अखबार विनवीपू ने एक भविष्यवाणी की थी कि 2035 में टू-फ्रंट वॉर होगी, जिसमें चीन-पाकिस्तान मिलकर भारत पर हमला करेंगे। पीओजेके में चीन का भी इंटरेस्ट भी है। 65 बिलियन डॉलर का इकोनॉमिक कोरिडोर प्रोजेक्ट भी पीओके से होकर ही गुजरेगा। चीन ने पीओके में कई पनबिजली परियोजनाओं में पैसा लगाया है। 5,180 वर्ग किमी की शक्सगाम घाटी को पाकिस्तान ने 1963 में एक गैरकानूनी समझौते के तहत चीन को दे दी थी। इससे पहले पाकिस्तान ने अक्साई चिन का 38 हजार वर्ग किमी से ज्यादा का इलाका चीन को दे दिया था।
क्या कहा था चीन के सरकारी अखबार में
चीन का एक सरकारी अखबार है विनविपू, जो हांगकांग से प्रकाशित होता है। इस अखबार में 8 जुलाई, 2013 को एक लेख के जरिए भविष्यवाणी की थी कि अगले 50 साल में चीन 6 जंग लड़ेगा। इस कड़ी में पहली जंग चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर होगी। इसकी पुष्टि 3 फरवरी, 2023 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर विलियम बर्न्स ने की थी। उन्होंने कहा कि 2027 में ताइवान को लेकर अमेरिका के साथ चीन की जंग हो सकती है। इसी कड़ी में तीसरी जंग 2035 में भारत के साथ जंग होगी, जिसमें पाकिस्तान और चीन एकसाथ भारत पर हमला करेंगे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी बयान दिया था कि चीन की पाकिस्तान से दोस्ती पहाड़ों से भी ऊंची और समुद्र से भी गहरी है।

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