जयपुर

दूसरे दिन भी मुख्यमंत्री गहलोत ने खोला सौगातों का पिटारा, प्रदेशवासियों को मिली 1122 करोड़ के 1194 विकास कार्यों की सौगात

शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कल्याणकारी योजनाओं से सुगम हुआ आमजन का जीवन:गहलोत

राज्य सरकार के तीन वर्ष

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार के तीन साल पूरे होने पर दूसरे दिन भी प्रदेशवासियों के लिए सौगातों का पिटारा खोला है। उन्होंने प्रदेशवासियों को 1122 करोड़ के 1194 विकास कार्यों की सौगात दी। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने विगत तीन वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं, ताकि वंचित, पिछड़े एवं जरूरतमंद वर्गों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके और आमजन का जीवन सुगम बनाया जा सके। हमारा प्रयास रहा है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, हर व्यक्ति को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिले और हर परिवार को सामाजिक सुरक्षा मिले।

गहलोत रविवार को राज्य सरकार के तीन वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास तथा जागृति बैक टू वर्क योजना, आईएम शक्ति उड़ान योजना, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना और डीबीटी वाउचर योजना के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 12 विभागों के करीब 1122 करोड़ रूपए के 1194 विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इसमें करीब 454 करोड़ रूपए की लागत के 90 विकास कार्यों का शिलान्यास और 668 करोड़ रूपए की लागत के 1104 कार्यों का लोकार्पण शामिल हैं।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने जन कल्याण पोर्टल मोबाइल ऎप एवं ई-मित्र एट होम का शुभारंभ तथा उड़ान योजना के शुभंकर, संचार रणनीति पुस्तिका एवं पोस्टर का विमोचन भी किया। साथ ही, प्रतीकात्मक रूप से 8 एम्बुलेंस और 2 बाइक एम्बुलेंस को रवाना किया। प्रदेश में करीब 100 एम्बुलेंस विभिन्न जिलों में भेजी जाएंगी।

गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किशोरियों एवं महिलाओं को निःशुल्क सैनेटरी नेपकीन वितरण के लिए आज जो उड़ान योजना शुरू की है, उसमें धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। योजना के पहले चरण के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्थाएं, सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ तथा अधिक से अधिक जनभागीदारी के साथ इस योजना को सफल बनाया जाए, ताकि गांव-ढाणी तक महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

गहलोत ने राज्य सरकार द्वारा विगत तीन वर्षों में किए नवाचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य सरकार की अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन की नीति के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। पहले दुष्कर्म के करीब 33 प्रतिशत केस कोर्ट के इस्तगासे से दर्ज होते थे। अब वे कम होकर 15 प्रतिशत पर आ गए हैं। इसी प्रकार महिला अपराधों के त्वरित अनुसंधान के लिए हर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर का पद सृजित होने से दुष्कर्म के मामलों में अनुसंधान का औसत समय 274 दिन से घटकर 73 दिन रह गया है। थानाें में फरियादियों की सुनवाई के लिए स्वागत कक्ष निर्माण की अनूठी पहल की गई है। इसका मकसद थाने में आने वाले हर फरियादी की बात मान-सम्मान के साथ सुनना है। प्रदेश के करीब 90 प्रतिशत थानों में स्वागत कक्ष बन चुके हैं।

खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए 50 करोड़ रूपए खर्च कर ग्रामीण ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए अब तक 26 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है। हमारा प्रयास है कि यह शून्य स्तर पर आए।

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