जयपुर। यूं तो 135 वर्ष पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कई बार गांधी परिवार का तख्ता पलट करने की कोशिशें हुई, लेकिन ताजा घटनाक्रमों पर गौर फरमाएं तो नजर आएगा कि एक बार फिर गांधी परिवार का तख्ता पलट की कोशिशें तेज हो गई है। गांधी परिवार से पहले उनके विश्वासपात्र अशोक गहलोत को निशाने पर लिया जा रहा है।
22 जनवरी को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की वर्चुअल मीटिंग में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के बीच तीखी बहस हो गई थी। बहस के बाद 23 दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस में स्थाई अध्यक्ष की मांग के साथ सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। माना जा रहा है कि इन 23 नेतओं के नेतृत्व में लगभग 200 नेताओं का समूह है, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदलने की मुहिम चलाए हुए है। सूत्र बताते हैं कि पायलट भी इन 200 नेताओं के साथ हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार के विश्वासपात्रों में अशोक गहलोत और अहमद पटेल का नाम आता है। पटेल के इंतकाल के बाद इन नेताओं के सामने गहलोत रोड़ा बने हुए है। ऐसे में अब इन नेताओं ने गहलोत पर निशाना सैट कर लिया है और राजस्थान कांग्रेस और सरकार को अस्थिर करने के प्रयास चल रहे हैं, ताकि गहलोत का ध्यान गांधी परिवार की तरफ से हटे और उन्हें तख्ता पलट का मौका मिल जाए। इनके इशारे पर आचार्य प्रमोद कृष्णम, सचिन पायलट के बहाने गहलोत पर हमले कर रहे हैं।
राजस्थान की सियासत में आचार्य प्रमोद कृष्णम की ओर से लगातार किए जा रहे ट्वीट ने थोड़ी हलचल तो मचाई है, लेकिन इससे ज्यादा कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि सामने राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत खड़े हैं। हालांकि राजस्थान में आचार्य प्रमोद का नाम चर्चित नहीं है, लेकिन बगावत का झंड़ा बुलंद करने वाले सचिन पायलट को ट्वीट के जरिए ‘मुख्यमंत्री भव’ का आशीर्वाद प्रदान कर प्रमोद चर्चा में आ गए हैं और लगातार एक के बाद एक बयानबाजी कर रहे हैं।
आचार्य प्रमोद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के सलाहकार के रूप में जाने जाते हैं। माना जा रहा है कि आचार्य प्रमोद का राजस्थान से कोई लेना-देना नहीं है, इसके बावजूद उनके लगातार ट्वीट गहरी साजिश की ओर संकेत कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पायलट जब तख्तापलट समूह के करीबी हैं, तो उनके पक्ष में ट्वीट करने वाले आचार्य का भी इनसे कोई न कोई संबंध निकल ही आएगा।
आचार्य प्रमोद कहते हैं कि आगामी दो सालों में पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। यह दावा दर्शाता है कि 23 लोगों के नेतृत्व में एक धड़ा कितने मनोयोग से गांधी परिवार और उनके विश्वासपात्रों को हटाने में लगा हुआ है। प्रमोद का गहलोत के बहाने राहुल गांधी पर निशाना साधना और पायलट का चुप रहना इसी रणनीति का हिस्सा है। गहलोत पर हमलों के बाद पीसीसी में चर्चा है कि पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए रहते हुए अजमेर में किसी भी कार्यक्रम में गहलोत की फोटो मंच पर नहीं लगाने दी, जबकि पूरे राजस्थान में गहलोत के नाम पर वोट मांगे जा रहे थे। उस समय पायलट के हितैषी आचार्य प्रमोद कहां गए थे?
कांग्रेसियों में चर्चा है कि पायलट के साथ जो हो रहा है, सही हो रहा है। जैसे कर्म, वैसे ही फल मिलते हैं। पायलट यदि बगावत करके सरकार गिराने में सफल रहते तो यह उनकी राजनीतिक कुशलता मानी जाती, लेकिन वह इसमें फेल हो गए। अब बगावत करने वालों को सजा तो मिलती ही है, उन्हें तख्त ए ताज से तो नवाजा नहीं जा सकता है। दूसरी किसी पार्टी में भी यदि कोई नेता बगावत करता है, यही सलूक होता है, क्योंकि वह अपनी विश्वसनीयता खो चुका होता है।