राजधानी जयपुर की सफाई व्यवस्था को चौपट करने वाली डोर-टू-डोर कंपनी को एक बार फिर नगर निगम जयपुर ग्रेटर से बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश शुरू हुई है। कंपनी के कार्यों में लगातार शिकायतों के बाद ग्रेटर की तीनों स्वच्छता समितियों की संयुक्त बैठक में कंपनी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया और फैसला किया गया कि अगले 7 दिनों में कंपनी के खिलाफ विधिक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। साथ ही सफाई कार्य को नए सिरे से शुरू करने के लिए नई निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।
बैठक में स्वच्छता समिति के चैयरमेन अभय पुरोहित ने मामला उठाते हुए कहा कि बीवीजी कंपनी को अब तक करीब 482 नोटिस जारी किये जा चुके हैं, इसके बावजूद कंपनी के कार्य में कोई सुधार नही हो रहा हैं। इससे पूर्व 28 जनवरी को हुई साधारण सभा की बैठक में भी यह मामला उठा था। पार्षदों ने कंपनी के कार्य पर गहरा असंतोष व्यक्त किया था। साधारण सभा द्वारा 30 दिनों की समयावधि के बाद भी कंपनी ने अपने कार्यों में सुधार नहीं किया और शहर की सफाई व्यवस्था बद से बदतर होती रही।
ऐसे में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि अब 7 दिन के भीतर कंपनी को नोटिस भी जारी होगा और उसके बाद नए सिरे से सफाई कार्यों के लिए निविदाएं आयोजित की जाएगी। बैठक में ये भी तय किया गया कि हर तीन महीने में सफाई कर्मियों की स्वास्थ्य जांच भी कराई जाएगी। बैठक में वार्डों में सफाईकर्मियों की संख्या को लेकर मिल रही शिकायतों, संसाधन की कमी और स्वच्छता सर्वेक्षण समेत अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
उल्लेखनीय है कि बीवीजी कंपनी शहर के लिए नासूर के समान बन गई है। कंपनी ने आज तक अनुबंध के अनुसार काम नहीं किया और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से मिलीभगत कर भुगतान उठाती रही है। बीवीजी कंपनी को निगम के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है और कंपनी के खिलाफ एसीबी में परिवाद भी पेश किया जा चुका है। कंपनी का मूल काम डोर-टू-डोर और कचरे का वर्गीकरण करना था, लेकिन इन दोनों कामों में वह फेल साबित हुई है। ऐसे में जब तक कंपनी को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जाता, तब तक शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकती है।