देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी के कानून के लिए किसान अब भी आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार की ओर से भी भी एमएसपी को यथावत रखने के लिए निरंतर घोषणाएं भी की जाती रही हैं। लेकिन, दलहन आयात से प्रतिबंध हटा कर के केंद्र सरकार ने इनके दामों में गिरावट का काम किया है I स्थिति यह हो गई है कि राजस्थान में चना घोषित समर्थन मूल्य से 400 रुपये प्रति क्विटंल नीचे बेचा जा रहा है। इन हालात में अखिल भारतीय किसान महापंचायत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दलहन आयात पर पुनः प्रतिबंध लगाने एवं किसान आंदोलन की मांगों को स्वीकार करने की मांग की है।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि राजस्थान की मंडियों में केंद्र सरकार की एमएसपी को यथावत् रखने की घोषणा बेअसर साबित हो रही है। हकीकत तो यह है कि किसानों को चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होना भी दुर्लभ हो गया I जाट का कहना है कि 15 मई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मूंग, उड़द एव तूर के आयात पर प्रतिबंध को हटाने के कारण चने के दामों में भी गिरावट आ गई, बाजार में चना 4700 रुपये क्विटंल तक आ गया जो घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 400 रुपये प्रति क्विंटल कम है I
ऐसी परिस्थितियों के बीच रामपाल जाट ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मूंग, उड़द, तूर पर आयात के प्रतिबंध को हटाने के लिए 15 मई को प्रसारित अधिसूचना को वापस लिया जाए I इसके साथ ही प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका को संशोधित कर दलहन एवं तिलहन की उपजों के दाने-दाने की खरीद सुनिश्चित करने के लिए सरकारी खरीद में कुल उत्पादन में से 25% की सीमा को समाप्त किया जायेI पत्र में उन्होंने लिखा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जावे और 5 जून 2020 को एक राष्ट्र एक बाजार के नाम पर लाए गए कानूनों को निष्प्रभावी बनाया जाये I