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पुरातत्व विभाग को आखिरकार बुलाने पड़े विशेषज्ञ

धरम सैनी

खराब पुरा सामग्रियों को सुखा कर ठीक करने का दम भर रहे थे अधिकारी

जयपुर। पानी में भीग कर खराब हुई पुरा सामग्रियों को सुखाकर ठीक करने का दम भर रहे पुरातत्व विभाग के ज्ञानी अधिकारियों को आखिरकार अपनी हैसियत पता ही चल गई। अधिकारियों को लगा कि वह कार्यालय में बैठकर कागज काले करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं तो उन्होंने खराब हुई पुरा सामग्रियों के संरक्षण के लिए बाहर से विशेषज्ञों की टीम बुलवा ली है।

बुधवार को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला संस्थान (आईजीएनसी) के विशेषज्ञों ने अल्बर्ट हॉल का दौरा किया और स्टोर रूम में पानी से खराब हुई पुरा सामग्रियों का निरीक्षण किया। संस्थान का तीन सदस्यीय दल एसोसिएट प्रोफेसर अचल के नेतृत्व में यहां आया था। संग्रहालय के अधीक्षक राकेश छोलक ने दल को स्टोर रूम दिखाया।

पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से आईजीएनसी को आग्रह किया गया था कि संस्थान अल्बर्ट हॉल में खराब हुई पुरा सामग्रियों के संरक्षण का कार्य करे। पूर्व में भी संस्थान की ओर से अलवर, डूंगरपुर व कुछ अन्य संग्रहालयों में कार्य किया जा चुका है।

जानकारी के अनुसार दल ने स्टोर में रखी पुरा सामग्रियों का सर्वे किया और यह जानकारी की कि कितनी सामग्रियां खराब हुई है। इनमें से कितनी सामग्रियों का संरक्षण किया जा सकता है। इस सर्वे के आधार पर संस्थान की ओर से पुरातत्व विभाग को प्रोपोजल भेजा जाएगा कि किस तरह से संरक्षण का कार्य किया जाएगा, उसमें कितना समय लगेगा और कितना खर्च होगा। विभाग यह प्रपोजल सरकार को भेजेगा और सरकार से मंजूरी मिलने के बाद संरक्षण का कार्य कराया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट कॉम की ओर से पुरा सामग्रियों के बर्बाद होने, उनके संरक्षण, पुरातत्व विभाग मुख्यालय में पानी भरने, मुख्यालय को दूसरी जगह शिफ्ट करने और दोषी अधिकारियों को दंडित करने का मामला लगातार उठाया जाता रहा है। इसी के बाद विभाग को इन सभी कार्रवाईयों के लिए मजबूर होना पड़ा है।

क्लियर न्यूज की ओर से सीरियल खबरें मंत्रीजी म्यूजियम नहीं नए मुख्यालय की जरूरत, मिला मौका गंवाया, अब भुगतो, छह दशकों से अपना मुख्यालय भी नहीं बनवा पाया पुरातत्व विभाग, पुरा सामग्रियों को फिर से खतरे में डालने की तैयारी, सितंबर में रसायनशास्त्री रिटायर-भीगी कलाकृतियों की कैसे होगी संभाल, पुरा सामग्रियों को प्रदर्शन ही बचाव का अंतिम उपाय, अब होगा पुरा सामग्रियों पर दीमक अटैक, पुरा सामग्रियों की बर्बादी के लिए पुरातत्व विभाग जिम्मेदार, 12 वर्ष में पानी नहीं भरा तो उखाड़ फेंका मडपंप, पुराने निशान धूमिल हुए तो पुरातत्व विभाग पर लग गया नया निशान प्रकाशित कर पुरातत्व विभाग की गलतियों को उजागर किया गया था।

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