केन्द से भी इसे मूल अधिकारों में शामिल करने की मांग, मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा- राजस्थान का कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में कष्ट ना पाए
कोरोना महामारी के बाद राजस्थान के लोगों (People of Rajasthan) के लिए चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने की दिशा में राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot government) ने एक और कदम आगे बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार, 24 अगस्त को ट्वीट कर कहा कि राज्य सरकार जल्द ही प्रदेश में राइट टू हेल्थ (right to health) बिल लाने जा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से भी मांग की कि वह राइट टू हेल्थ को संविधान के मूल अधिकारों में शामिल करे।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने राइट टू हेल्थ की परिकल्पना को साकार करने के लिए पहले चिकित्सा क्षेत्र में बड़े बदलाव किए हैं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, भारत सरकार को अब राइट टू हेल्थ को संविधान के मूल अधिकारों में शामिल करना चाहिए एवं सभी नागरिकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करना चाहिए।
राजस्थान सरकार ने राइट टू हेल्थ की परिकल्पना को साकार करने के लिए पहले चिकित्सा क्षेत्र में बड़े बदलाव किए है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना एवं मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से पूरे राज्य में ओपीडी व आईपीडी का सम्पूर्ण इलाज मुफ्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान का कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में कष्ट ना पाए।
राइट टू हेल्थ में हर नागरिक को इलाज फ्री मिले, इसकी व्यवस्था होगी। यह व्यवस्था यूनिर्वसल हेल्थ कवरेज के जरिए होगी। पीएम आयुष्मान भारत योजना में अभी केवल खाद्य सुरक्षा में पात्र और बीपीएल कैटेगरी वालों की मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है, लेकिन राइट टू हेल्थ बिल में हर नागरिक को चाहे वह किसी भी श्रेणी को हो उसका इलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा होगा।
राजस्थान में एक्साीडेंट पीडि़त को ट्रोमा का इलाज पूरी तरह मुफ्त करने की शुरुआत की गई है। राइट टू हेल्थ के तहत भी यह प्रावधान होगा कि किसी भी राज्य के नागरिक को एक्सीडेंट की हालत में ट्रोमा का इलाज फ्री मिले। फिलहाल सरकारी अस्पतालों में सुविधा शुरू की है। राइट टू हेल्थ लागू होने के बाद प्राइवेट अस्पतालों को भी ट्रोमा का इलाज फ्री करना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य बीमा से भुगतान होगा।