राजस्थान चुनाव में दोनों ही पार्टियों को एक-दूसरे के दो-दो दिग्गज चेहरों ने परेशान कर दिया है। कांग्रेस को दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ तो वहीं बीजेपी को मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सामने मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा है।
दोनों ही पार्टियां अंदरखाने चेहरे तलाश रही हैं, लेकिन पार्टी जिन प्रत्याशियों को लड़ाना चाह रही है, वे राजी नहीं हो रहे। वहीं, दो मंत्रियों महेश जोशी, शांति धारीवाल और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के अलावा भी 5 सीटें ऐसी हैं, जिनको होल्ड पर रखा गया है। इन 5 सीटों पर फैसला राहुल गांधी लेंगे।
दीया कुमारी, विद्याधर नगर – राजपूत नेताओं को मनाना हुआ कठिन
जब तक भाजपा ने अपनी सूची जारी नहीं की थी, तब तक इस सीट पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल का नाम चल रहा था। भाजपा ने जयपुर पूर्व राजघराने की सदस्य व सांसद दीया कुमारी के नाम की घोषणा की तो यहां की तस्वीर ही बदल गई। अब कांग्रेस इस सीट से राजपूत चेहरा ढूंढ रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने अपने दो राजपूत नेताओं को टटोला, लेकिन दोनों ने ही इस सीट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया। एक हैं- प्रताप सिंह खाचरियावास, जब इनसे विद्याधर नगर से दीया के सामने चुनाव लड़ने के लिए पूछा था तो उन्होंने कहा कि वे सीट नहीं बदलना चाहते। इसके बाद कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची में सिविल लाइंस से प्रताप सिंह का नाम घोषित कर दिया। दूसरे हैं, कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह। वे भी यहां से चुनाव लड़ने पर सहमत नहीं बताए जा रहे। ऐसे में पार्टी ने मंथन और प्रयास के लिए यह सीट होल्ड पर डाल दी है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (झोटवाड़ा): मान-मनोव्वल बेकार, अब तो विवाद भी छिड़ा
भाजपा ने इस सीट से भी कांग्रेस के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। यहां से बीजेपी ने जयपुर ग्रामीण सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर जीत हासिल कर चुके गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। गहलोत सहित बड़े नेता दमदार प्रत्याशी कटारिया को मनाने में जुट गए हैं। कटारिया फैसला बदलते, उससे पहले ही उनकी मार्कशीट का विवाद सामने आ गया। अब पार्टी कटारिया को मना भी लेती है, तो ये विवाद पूरे चुनाव में गूंजेगा। पिछले सभी चुनाव में उनकी जीत बेमानी साबित करने के प्रयास किए जाएंगे। इस सीट पर भी कांग्रेस के लिए मजबूत प्रत्याशी ढूंढने का संकट खड़ा हो गया है। यही कारण है कि अभी सीट होल्ड कर दी गई है।
अशोक गहलोत (सरदारपुरा): राजपरिवार उतरा तो आएगा जोर
भाजपा के लिए अशोक गहलोत सबसे बड़ी चुनौती हैं। भाजपा इस सीट पर खास रणनीति अपनाना चाह रही है। कोई ऐसा मजबूत चेहरा उनके सामने खड़ा किया जाए जो गहलोत को चुनौती के साथ-साथ टेंशन भी दे। सीधा-सा मकसद यही है कि चुनौती मिलेगी तो वे अपनी सीट पर फोकस बढ़ाएंगे और उनके प्रदेशभर में होने वाले दौर भी कम होंगे। यह रणनीति उन्हें उनकी सीट पर बांधे रखने की है। सूत्रों के अनुसार भाजपा आलाकमान जोधपुर राजघराने के संपर्क में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों जब अपने जोधपुर दौरे पर आए, तो राजपरिवार के पूर्व सदस्य गजसिंह ने उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव भी किया था। सूत्रों के अनुसार मोदी और गजसिंह ने 15-20 मिनट अकेले में चर्चा भी की। माना जा रहा है कि इस विधानसभा चुनाव में मारवाड़ की सीटों पर भाजपा को समर्थन देने की बातें हुई। भाजपा आलाकमान चाह रहा है कि इस चुनाव में ही राजघराने से कोई सदस्य राजनीति में सक्रिय हो जाए। हालांकि पूर्व राजपरिवार ने अभी तक इस पर कोई स्टेटमेंट जारी नहीं किया है। सूत्रों ने बताया कि पूर्व में पार्टी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से भी सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा चुकी है, लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई है। पार्टी को अब भी यहां से चेहरे की तलाश है।
सचिन पायलट, टोंक: दो सांसदों को लेकर चल रहा मंथन
सचिन पायलट के कारण कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली टोंक सीट पर भाजपा को अभी कोई स्थानीय मजबूत नेता नजर नहीं आ रहा। भाजपा ने इस क्षेत्र से सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया से भी पायलट के सामने चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा की थी, लेकिन जौनापुरिया ने स्पष्ट मना कर दिया है। इधर, पूर्वी राजस्थान में बार-बार प्रचार के लिए आ रहे दिल्ली दक्षिण के सांसद और गुर्जर नेता रमेश बिधूड़ी के भी नाम की चर्चा भी टोंक सीट से चुनाव लड़ने की चल रही है। लेकिन उनकी राजस्थान से चुनाव लड़ने की अभी कोई इच्छा नहीं है।
3 चर्चित चेहरों की सीटों पर अटकी बात
आलाकमान की टेबल पर जब 106 नामों की लिस्ट रखी गई तो राहुल गांधी ने नाम पढ़ने शुरू किए। यहां तीन चर्चित चेहरों पर चर्चा छिड़ गई। ये थे मंत्री महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़। इनके नाम आते ही 25 सितंबर, 2022 को हुई एक सियासी घटना का जिक्र भी हुआ। जब पायलट को मौका देने की तैयारी थी और आलाकमान ने जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई थी। अचानक से महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ ने विधायकों को एकजुट कर उनके इस्तीफे लिखवा लिए थे, जिसके चलते विधायक दल की बैठक टालनी पड़ी। यहां धारीवाल ने आलाकमान के खिलाफ भी भाषण दिया था। उस घटनाक्रम को याद करते हुए आलाकमान की नाफरमानी पर राहुल गांधी ने सवाल उठाए।
राहुल गांधी करेंगे इन 5 सीटों का फैसला
5 सीटों का भविष्य राहुल गांधी के निर्णय पर टिका हुआ है। पिछले चुनाव में भरतपुर सीट से कांग्रेस ने आरएलडी को समर्थन दिया और यहां से कोई केंडिडेट खड़ा नहीं किया था। ऐसे में गहलोत सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग यहां से जीते थे। गहलोत इस सीट के साथ अन्य 4 सीटों पर भी गठबंधन चाह रहे हैं। सियासी संकट के दौरान कांग्रेस सरकार के साथ सीपीआईएम के भादरा से बलवान पूनिया व श्रीडूंगरगढ़ से गिरधारी महिया और बीटीपी के सागवाड़ा से रामप्रसाद व चोरासी से राजकुमार रोत खड़े रहे थे। बीएपी (पहले बीटीपी) ने सीएम गहलोत को सरकार को समर्थन पत्र भी सौंपा था। खुद की पार्टी तक से नाराजगी झेलते हुए भी बलवान पूनिया तो कांग्रेस बाड़ाबंदी में शामिल हुए।
गहलोत इस संबंध में राहुल गांधी से चर्चा भी कर चुके हैं, लेकिन राहुल गांधी अब तक इस बारे में कोई संकेत नहीं दिए हैं। इस कारण इन चारों सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी या गठबंधन के सहारे लड़ेगी, इसका फैसला दिल्ली से हरी झंडी मिलने या नहीं मिलने पर तय होगा।
40 उम्मीदवारों को फोन- कहा, तैयारी रखो
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार जिन सीटों पर विवाद का डर नहीं है और आलाकमान से भी सहमति मिल गई है, उन करीब 40 सीटों पर प्रत्याशियों को फोन कर दिए गए हैं। जिससे वे अपनी तरफ से तैयारी जोर-शोर से रखें। इस कारण मंत्री-विधायकों की सक्रियता भी फील्ड में नजर आ रही है।