आसपा—आएलपी उम्मीदवार ने बिगाड़ा कांग्रेस—भाजपा का गणित
भाजपा को भितरघात से, तो कांग्रेस को आसपा से खतरा, ओबीसी—एससीएसटी वोटर निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका
राजस्थान विधानसभा राजधानी के मालवीय नगर विधानसभा में स्थित है और इसी विधानसभा सीट पर वोटिंग से ऐन पहले मुकाबला काफी रोचक हो गया है। आजाद समाज पार्टी ‘आसपा’ और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी में गठबंधन होने के साथ ही इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है क्योंकि इस गठबंधन के कारण ओबीसी और एससी—एसटी वोटर एक जाजम पर आ गए हैं। ऐसे में इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की स्थिति विकट हो गई है।
भाजपा ने यहां मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ और कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी अर्चना शर्मा पर फिर से दांव खेला है। आजाद समाज पार्टी की ओर से यहां पूर्व पार्षद और आसपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विनीत सांखला मैदान में हैं, तो व्यापारियों की ओर से यहां राजस्थान दुकानदार महासंघ के संयोजक और राष्ट्रीय व्यापारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष किशोर टांक मैदान में दम ठोक रहे हैं।
विकास में भी हुआ भेदभाव
मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट कर देखा जाता है। एक हिस्सा टोंक रोड का पूर्वी हिस्सा और दूसरा पश्चिमी हिस्सा। पूर्वी हिस्सा टोंक रोड और जेएलएन मार्ग के बीच में है, तो पश्चिमी हिस्सा टोंक रोड से ज्योतिबा कॉलेज सर्किल तक है। पूर्वी हिस्से में पॉश कॉलोनियां है, तो पश्चिमी हिस्से में सघन आबादी वाली कॉलोनियां है। यहां तीन बार से विधायक और मंत्री रहे सराफ ने हमेशा पूर्वी हिस्से पर ही ज्यादा फोकस किया और विकसित होने के बावजूद यहां ज्यादा काम कराए गए। वहीं पश्चिमी हिस्से को उसके हाल पर छोड़ दिया, जिससे पश्चिमी क्षेत्र के लोग सराफ के विरोधी हैं। अर्चना शर्मा का भी ज्यादा फोकस पूर्वी हिस्से पर ही रहा है और उनका प्रचार इसी हिस्से में सीमित रहता है। जबकि आसपा प्रत्याशी सांखला ने इस बार पूरा जोर पश्चिमी हिस्से पर लगा रखा है। इसी हिस्से में ओबीसी और एससी—एसटी वोटरों का बड़ा वोटबैंक है।
जोड़—जुगाड़ से लाए टिकट, कार्यकर्ता नाराज
कालीचरण सराफ की बात करें तो वह भाजपा से नौंवी बार टिकट लेने में सफल हो गए हैं। आठ बार वह चुनाव जीते हैं और एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मालवीय नगर सीट से वह चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं। पूरे जयपुर शहर में पिछले सभी प्रत्याशियों के टिकट इस बार कटे हैं। सिर्फ सराफ अपने जोड़—जुगाड़ से टिकट लाने में कामयाब हो गए, लेकिन कहा जा रहा है कि इस बार उनकी राहें आसान नहीं है।
पार्षद भी नहीं कर रहे सपोर्ट
कहा जा रहा है कि भाजपा को यहां भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। मालवीय नगर क्षेत्र में 26 वार्ड हैं, जिनमें 9 पार्षद कांग्रेस, एक निर्दलीय और 16 भाजपा पार्षद हैं। पिछले नगरीय निकाय चुनावों में सराफ ने कुछ चहेते प्रत्याशियों को छोड़कर बाकी भाजपा प्रत्याशियों को हराने का काम किया था, जिससे 9 कांग्रेसी और एक निर्दलीय जीतने में सफल हो गए। ऐसे ही आरोप अब कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा पर भी लग गए हैं और उनकी आडियो क्लिप जमकर वायरल हो रही है।
भाजपा को भितरघात से खतरा
सराफ जोड़—जुगाड़ से टिकट ले तो आए, लेकिन भाजपा पार्षद और कार्यकर्ता काफी नाराज हैं। दिखावे के लिए सभी सराफ के साथ हैं, लेकिन माना जा रहा है कि भितरघात होगा। पिछले चुनावों में सराफ बमुश्किल एक—दो हजार वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे। सीट पर भाजपा की सबसे बड़ी ताकत व्यापारी और ओबीसी वोटर हैं, लेकिन व्यापारियों ने इस बार अपना प्रत्याशी खड़ा किया है तो ओबीसी वोटरों में आजाद समाज पार्टी सेंध लगाने पर तुली है। क्षेत्र में 45 हजार वोटरों के साथ माली समाज सबसे बड़ा वोटर है और वह सराफ से टैक्सी चालक रतनलाल मामले में लंबे समय से नाराज चल रहा है।
सरकार में रहने के बावजूद नहीं कराए काम
कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा को पिछली बार मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, इसके बावजूद वह सरकार में रहने के बाद भी क्षेत्र में काम कराकर अपनी पहचान नहीं बना पाई। अब उनके कारनामे अखबारों में सुर्खियां बन रही है और लेन—देन के आडियो वायरल हो रहे हैं। गहलोत पायलट गुट में जंग के बीच शर्मा पाला बदल कर पायलट गुट में आई थी, लेकिन वह जल्द ही पायलट गुट को छोड़कर वापस गहलोत गुट में आ गई। एक बार तो लग रहा था कि उन्हें शायद ही टिकट मिल पाए, लेकिन उन्हें किसी तरह टिकट मिल गया, लेकिन क्षेत्र की दोनों प्रमुख पार्टियों के चेहरों और कार्यकलापों से आजिज आ चुके हैं और बदलाव का मन बना चुके हैं।
कांग्रेस को यहां आसपा से खतरा
क्षेत्र में कहा जा रहा है कि अर्चना को सराफ से कोई खतरा नहीं है, उन्हें खतरा है तो आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी विनीत सांखला से है, क्योंकि सांखला परंपरागत कांग्रेसी वोटबैंक में सेंध लगा रहे हैं। सांखला पिछले बीस वर्षों से कांग्रेस में काम कर रहे थे और मनोनीत पार्षद रह चुके हैं। उन्होंने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व कांग्रेस छोड़कर आजाद समाज पार्टी का दामन युवा मोर्चा अध्यक्ष के तौर पर थामा। पार्टी ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर प्रमोट कर दिया गया।
ओबीसी—एससी,एसटी वोटरों पर फोकस
सांखला का फोकस क्षेत्र के ओबीसी और एससी—एसटी वोटरों पर है। क्षेत्र में 45 हजार वोटर माली समाज के हैं और सांखला भी इसी समाज से आते हैं। वहीं 20 हजार कुमावत 10 हजार जाट और करीब 30 हजार एससी—एसटी वोटर हैं। सबसे बड़ा वोटबैंक होने के बावजूद भाजपा कांग्रेस ने कभी इस सीट पर किसी ओबीसी के प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया, इसके चलते ओबीसी वोटर दोनों पार्टियों से नाराज चल रहे हैं। आजाद समाज पार्टी के बैनर के कारण एससी—एसटी वोटर सांखला के साथ आ रहे हैं। एससी—एसटी वोटरों में चन्द्रशेखर आजाद का जबरदस्त क्रेज है, जिसका सीधा फायदा पार्टी के उम्मीदवार को मिलता दिखाई दे रहा है। वहीं आरएलपी का आजाद समाज पार्टी से गठबंधन होने के कारण जाट समाज भी सांखला के समर्थन में आने लगा है।