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90 डिग्री पर मुड़कर दुश्मन को चकमा देती है और टारगेट धुआं-धुआं…! नए युद्धपोत से ब्रह्मोस की टेस्टिंग

नेवी के नए जंगी जहाज आईएनएस इम्फाल से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि पहली बार नौसेना में शामिल होने से पहले किसी युद्धपोत से मिसाइल दागी गई है। मिसाइल ने लॉन्चिंग के बाद 90 डिग्री कोण पर घूमकर दुश्मन टारगेट को तबाह किया।
भारतीय नौसेना में पहली बार सेना में शामिल होने से पहले किसी युद्धपोत से मिसाइल दागी गई है। इस युद्धपोत का नाम है विशाखापट्टनम क्लास स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस इम्फाल। इससे दागी गई है, दुनिया की सबसे तेज चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस।
युद्धपोत आईएनएस इम्फाल से निकली ब्रह्मोस मिसाइल के एक्सटेंडेड वर्जन ने एक पुराने जहाज पर निशाना लगाया। यानी सीधे टारगेट पर। इम्फाल एक गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है। यह इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल होगा। आईएनएस इम्फाल को मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया है। इस जंगी जहाज का डिस्प्लेसमेंट 7400 टन है। यह 535 फीट लंबा युद्धपोत है। यह डीजल-इलेक्ट्रिक युद्धपोत है। अधिकतम स्पीड 56 किलोमीटर प्रतिघंटा है। अगर इसे 33 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाएं तो यह 15 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है। इसमें चार रिजिड बोट्स भी हैं।
इतनी मिसाइलें कि दुश्मन का दम फूल जाए
इस युद्धपोत पर 48 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम हैं। यानी इसमें एंटी-एयर वॉरफेयर के तौर पर 32 बराक-8 सरफेस-टू-एयर मिसाइल लगी हैं। इसके अलावा एंटी-सरफेस वॉरफेयर के तौर पर 16 ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें तैनात हैं। इसके अलावा 4 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं। 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स लगे हैं। इस जंगी जहाज पर 1 ओटो मेलारा नेवल गन, 2 रिमोट कंट्रोल्ड गन हैं। इस जहाज पर 2 धु्रव या सीकिंग हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं। इस युद्धपोत पर 50 नेवल ऑफिसर और 250 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल में लगा है सीकर और बूस्टर
सीकर मिसाइल का सबसे जरूरी यंत्र होता है। यह मिसाइल की सटीकता को तय करता है। यानी मिसाइल टारगेट पर 100 फीसदी सटीकता से हमला करेगी या नहीं। इस टेक्नोलॉजी के बारे में कोई भी देश किसी अन्य देश को जानकारी नहीं देता। यह मिसाइल की चोंच पर लगा रहता है। असल में उसे टारगेट तक पहुंचने के लिए गाइड करता है। इस समय प्रेसिसन गाइडेड हथियारों का जमाना है। दूर से बैठकर टारगेट सेट करो और मिसाइल दाग दो। मिसाइल सीधे टारगेट पर जाकर धमाका कर देती है। इन हथियारों की सटीकता को सीकर्स ही पूरा करते हैं। इन मिसाइलों में कई बार होमिंग गाइडेंस यानी ऑटोपॉयलट सीकर लगे होते हैं। इस समय इंफ्रारेड सीकर की मांग बढ़ी हुई है।
क्या होता है मिसाइल में बूस्टर?
मिसाइल और रॉकेट दोनों में लगभग एक जैसे बूस्टर लगते हैं। बूस्टर यानी वो यंत्र जो गति को बढ़ाए। बूस्टर मिसाइल की शुरुआती दो से तीन मिनट की उड़ान में आगे बढ़ने की ताकत देता है। ब्रह्मोस मिसाइल के बूस्टर पहले रूस से आते थे, जिनकी लागत काफी ज्यादा होती थी।
दुश्मन के राडार पकड़ नहीं पाते
ब्रह्मोस ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही रास्ता बदलने में सक्षम है। चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देती है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार इसे देख ही नहीं पाएंगे। यह किसी भी मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा दे सकती है। इसे किसी एंटी-एयर मिसाइल सिस्टम से गिराना मुश्किल है। ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका की टोमाहॉक मिसाइल से दोगुना तेज उड़ती है।
ब्रह्मोस के चार नौसैनिक वर्जन मौजूद
ब्रह्मोस के चार नौसैनिक वैरिएंट्स हैं। पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट। ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं। तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट। इसका सफल परीक्षण हो चुका है। चैथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट।
इन युद्धपोतों पर तैनात है ब्रह्मोस
भारतीय नौसेना ने राजपूत क्लास दो डेस्ट्रॉयर में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगा रखा है। इसके अलावा तलवार क्लास तीन फ्रिगेट में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर तैनात है। शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस मिसाइल फिट है। कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी यह तैनात है। आईएनएस इम्फाल में सफल परीक्षण हो चुका है।
नौसैनिक ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत
युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलो वॉरहेड ले जा सकती है। यह मिसाइल 4321 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार। इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है। पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड। दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन है। जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है। साथ ही, ईंधन की खपत कम करता है।

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