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राजस्थान में बागी किस पार्टी का कितना गणित बिगाड़ेंगे…! कांग्रेस-भाजपा से 45 बागी मैदान में

राजस्थान में नाम वापसी के बाद अब उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी के तमाम प्रयासों के बावजूद ज्यादातर जगहों पर बागी उम्मीदवारों को मनाने में सफलता नहीं मिली।
राजस्थान में अभी भी कांग्रेस और बीजेपी के लगभग 45 से ज्यादा बागी चुनावी मैदान में हैं। इनमें से ज्यादातर निर्दलीय हैं, कुछ को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी-आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) गठबंधन ने टिकट दिए हैं। 25 सीटों पर बीजेपी के बागी तो 20 सीटों पर कांग्रेस के बागी चुनाव लड़ रहे हैं। बागियों के हिसाब से बाड़मेर की शिव सीट सबसे हॉट सीट है, जहां कांग्रेस का एक और बीजेपी के दो बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां बीजेपी के बागी जालम सिंह रावलोत और रविंद्र सिंह भाटी चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष फतेह खान भी मैदान में हैं।
जननायक जनता पार्टी की जबरदस्त एंट्री
जननायक जनता पार्टी ने भी कुछ बागियों को टिकट दिए हैं। बागियों ने कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। बाड़मेर की ही सिवाना सीट से सीएम के नजदीकी नेता सुनील परिहार भी बागी हो गए हैं। राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस के मौजूदा विधायक जौहरीलाल मीणा टिकट कटने के बाद बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी विधायक चंद्रभान सिंह आक्या चितौड़गढ़ से बागी होकर मैदान में हैं।
कांग्रेस के बागियों ने बिगाड़े समीकरण
शिव से फतेह खान, बसेड़ी से खिलाड़ीलाल बैरवा, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से जौहरीलाल मीणा, शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, सिवाना से सुनील परिहार, जालोर से रामलाल मेघवाल, नागौर से हबीबुर्रहमान और लूणकरणसर से वीरेंद्र बेनीवाल कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय मैदान में हैं। उधर, अन्य कांग्रेसी नेताओं में चैरासी से महेंद्र बारजोड़, सादुलशहर से ओम बिश्नोई, मनोहरथाना से कैलाश मीणा, खींवसर से दुर्ग सिंह खींवसर, देवाराम रोत, राजकरण चैधरी, अजीजुद्दीन आजाद, राकेश बोयत, रामनिवास गोयल, नरेश मीणा, करुणा चांडक, गोपाल गुर्जर और मनोज चैहान भी कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ ही निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
बीजेपी में कांग्रेस से ज्यादा बागी
बीजेपी में कांग्रेस से ज्यादा बागी मैदान में हैं। शिव से रविंद्र सिंह भाटी, चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान आक्या, डीडवाना से युनूस खान, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, झुंझूनू से राजेंद्र भांबू, सूरतगढ़ से राजेंद्र भादू, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, लाडपुरा से भवानी सिंह राजावत और खंडेला से बंशीधर बाजिया बागी हैं।
उधर, झोटवाड़ा से आशुसिंह सूरपुरा, सुजानगढ़ से राजेंद्र नायक, सीकर से ताराचंद धायल, सवाईमाधोपुर से आशा मीणा, संगरिया से गुलाब सिंवर, सांचैर से जीवाराम चौधरी, मसूदा से, जसवीर सिंह खरवा, ब्यावर से इन्द्र सिंह, मकराना से हिम्मत सिंह राजपुरोहित और लूणकरणसर से प्रभुदयाल सारस्वत ने बीजेपी से बगावत की है।
इसी तरह, कोटपूतली से मुकेश गोयल, जालोर से पवनी मेघवाल, बस्सी से जितेंद्र मीणा, फतेहपुर से मधुसूदन भिंडा, पिलानी से कैलाश मेघवाल, डग से रामचंद्र सुनेरीवाल मैदान में हैं। रितु बनावत, अशोक कोठारी, ज्ञानचंद सारस्वत, रुपेश शर्मा और योगी लक्ष्मण नाथ भी बीजेपी के बागी हैं।
कांग्रेस के बागी
बसेड़ी में पायलट समर्थक खिलाड़ीलाल बैरवा टिकट कटने के बाद बागी होकर लड़ रहे हैं। कांग्रेस के दलित वोटों में बिखराव से मुकाबला रोचक हो गया है। एससी के लिए रिजर्व इस सीट पर अन्य जातियां हार-जीत का आधार तय करेंगी। राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ में बुजुर्ग कांग्रेस विधायक जौहरीलाल मीणा टिकट कटने के बाद बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। जौहरीलाल के बागी होकर लड़ने से वोटों का बंटवारा हो गया है। इस सीट पर कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। बताया जा रहा है कि जौहरीलाल का टिकट उनके बेटे पर रेप केस लगने की वजह से कटा है। नागौर सीट पर पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान टिकट कटने के बाद बागी होकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा और बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है। वे अब तक चुनाव में डटे हैं। लूणकरणसर में पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बेनीवाल की बगावत के कारण यहां कांग्रेस के वोट बैंक में बिखराव होना तय हो गया है। टिकट कटने की सहानुभूति भी बेनीवाल के साथ हो सकती है जिसका कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
बीजेपी के बागी
शिव सीट सबसे हॉट सीट बनी हुई है। बीजेपी के तीन-तीन नेता यहां से बागी होकर लड़ रहे हैं, इस वजह से बीजेपी के वोट बैंक में बिखराव तय है। ऐसे हालात में जीत हार का फैसला बहुत कम अंतराल में होता है।
चितौड़गढ़ सीट पर टिकट कटने से नाराज होकर बीजेपी विधायक चंद्रभान सिंह आक्या बागी लड़ रहे हैं। उनकी बगावत से बीजेपी को नुकसान हो रहा है। नरपत सिंह राजवी को यहां से टिकट दिया है, पहले राजवी का विद्याधरनगर से टिकट काटा गया तो राजवी बगावत पर उतारू हो गए थे। राजवी को यहां से टिकट दिया तो आक्या ने बगावत कर दी।
बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी की बगावत से बीजेपी को नुकसान हुआ है। अब बगावत ने समीकरण बिगाड़ दिए हैं, आरएलपी ने भी उन्हें समर्थन दे दिया है जिसके बाद पूरा सियासी सीन ही बदल गया है।
खंडेला सीट पर पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया बागी होकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। बाजिया की टिकट काटकर कांग्रेस से बीजेपी में आए सुभाष मील के सामने चुनौती पैदा कर दी है।
उदयपुर की मावली विधानसभा में भाजपा के बागी कुलदीप सिंह चुंडावत मैदान में है। टिकट नहीं मिलने पर आरएलपी में शामिल होकर उस पार्टी से नामांकन भर दिया। वे मैदान में डटे हुए हैं और आरएलपी से चुनाव लड़ रहे है।
निवाई से बीजेपी की कार्यकर्ता उमा भारती निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। पहले टिकट की दावेदार थीं। टिकट कटने के बाद बागी होकर चुनाव लड़ रही हैं।
बसेड़ी में बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ रही गुड्डी मौर्य ने भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। गुड्डी मौर्य बीजेपी उम्मीदवार सुखराम कौली के वोट काट रही हैं। हालांकि कांग्रेस में भी खिलाड़ीलाल बैरवा बागी हैं। नुकसान दोनों तरफ है।
अजमेर जिले की किशनगढ़ विधानसभा सीट से सुरेश टाक 2018 में विधानसभा का टिकट मांगा और नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी विकास चैधरी को हराया। कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। इस बार भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
पुष्कर से अशोक रावत ने भाजपा से टिकट मांगा लेकिन टिकट वर्तमान में विधायक सुरेश रावत को मिला। ऐसे में नाराज होकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से नामांकन दाखिल किया और चुनाव मैदान में डटे है। वे पीसांगन के पूर्व प्रधान भी रह चुके हैं।

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