सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत रद्द किए जाने के बाद, दो सप्ताह में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम और अरविंद कुमार की बेंच ने मलिंगा की एसएलपी को लंबित रखते हुए, उनके आत्मसमर्पण के चार सप्ताह बाद आगे की सुनवाई की तारीख तय की है। मलिंगा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की, जबकि राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने मामला प्रस्तुत किया।
मामला क्या है?
पूर्व विधायक मलिंगा पर मार्च 2022 में धौलपुर के बाड़ी क्षेत्र में बिजली विभाग के अभियंताओं पर हमले और जातिसूचक गालियां देने का आरोप है। इस घटना के बाद उनके खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अभियंता हर्षाधिपति, जो कथित हमले में गंभीर रूप से घायल हुए थे, पिछले दो वर्षों से जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं।
हाईकोर्ट ने पहले दी थी जमानत, फिर वापस ली
मई 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट ने मलिंगा को जमानत दी, लेकिन रिहाई के बाद रोड शो और डराने वाले बयानों के चलते शिकायतकर्ता ने उनकी जमानत रद्द करने की मांग की। इसके बाद, हाईकोर्ट ने उनकी जमानत रद्द करते हुए 30 दिनों के भीतर सरेंडर का निर्देश दिया। मलिंगा ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से अस्थायी राहत मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को बहाल करते हुए मलिंगा को दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का निर्देश दिया है और उनकी एसएलपी पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।