राजस्थान में भजनलाल सरकार ने अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत बड़ा एक्शन लिया है। राजस्थान के अलवर में राज्य से बाहर की जमीनों की पावर ऑफ अटॉर्नी करने का घोटाला सामने आया है। इस मामले में यह जानकारी मिली है कि चार उप पंजीयकों ने नियम के विरुद्ध इनका रजिस्ट्रेशन कर दिया। बाद में इस मामले की जांच हुई। रिपोर्ट में दोष सिद्ध होने पर सरकार के निर्देश पर चार उपपंजीयकों समेत 12 कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया है।
सरकार के आदेश पर इनके खिलाफ हुआ मामला दर्ज
इस मामले को लेकर उपमहानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय की ओर से कोटकासिम के उप पंजीयक विक्रम सिंह व लिपिक भोलाराम, बहरोड़ की उप पंजीयक कृष्णा देवी, कार्यालय लिपिक हरिपाल सिंह, नायब तहसीलदार एवं पदेन उप पंजीयन (मूल पद भूअभिलेख निरीक्षक) खैरथल रामकिशन, सहायक प्रशासनिक अधिकारी (पंजीयन लिपिक), तहसीलदार एवं पदेन उप पंजीयन कार्यालय खैरथल विवेक धामाणी, कनिष्ठ सहायक (पंजीयन लिपिक) तहसील एवं पदेन उप कार्यालय हरसौली खैरथल-तिजारा राजवीर पर संबंधित थानों में एफआइआर दर्ज कराई गई है।
कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज
पावटा, मांढण, हरसौली में तैनात उप पंजीयकों पर अभी कार्रवाई होना बाकी है। इन कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज हो गई है। इसमें पावटा के कर्मचारी संदीप गुर्जर, मांढण के कर्मी जसवंत सिंह आदि शामिल हैं। गंडाला के उप पंजीयक रिटायर्ड द्वारका प्रसाद के अलावा कर्मचारी रामदास शर्मा, राजवीर यादव पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
नियमविरुद्ध 1 हजार पावर ऑफ अटॉर्नी
इस मामले की जांच के बाद सामने आया कि हरियाणा, दिल्ली की जमीनों की पावर ऑफ अटॉर्नी अधिक संख्या में थी। इस दौरान बहरोड, खैरथल, हरसोली, कोटकासिम, पावटा व मांडण के उपंजीयक कार्यालय में ऐसी करीब 1 हजार पावर एटर्नी कर की गई। इसके बाद यह रिपोर्ट सरकार के पास गई तो, हड़कम्प मच गया। सरकार ने चार उपपंजीयकों समेत 12 कर्मचारियों को दोषी पाए जाने पर सस्पेंड कर दिया है। इस मामले की जांच उपमहानिरीक्षक पंजीयन एवं मुद्रांक अलवर प्रथम मुकेश कैथवाल ने की। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने इन अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड किया हैं।