जयपुर। अखिल भारतीय किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर बीसलपुर बांध के सिंचित क्षेत्र में 5.86 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए नहरों में छोड़ने का आग्रह किया है । इसके साथ ही उन्होंने टोंक जिले के पुलिस प्रशासन द्वारा पानी के लिए आवाज उठाने वाले किसानो को डरा–धमका कर शांति पूर्ण आन्दोलन से रोकने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सिंचाई के पानी की मांग को लेकर आन्दोलन का समर्थन कर रहे सरपंचों को मानसिक यातना दी जा रही है । आन्दोलन की अगुवाई करने वाले किसान प्रतिनिधियों को झूठे मुकदमे बनाकर गिरफ्तार करने तक की कार्यवाही की जा रही है I
पानी तो भरपूर है, क्यों खेतों से दूर है
जाट ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखे पत्र में सवाल उठाया है कि “पानी तो भरपूर है, क्यों खेतों से दूर है ?” उन्होंने कहा कि किसानों के इस दर्द को समझने के बजाय पानी की मांग करने वाले किसानो को डराया और धमकाया जा रहा है। उन्होंने टोंक जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि इस मामले में प्रशासन किसानों को मुकदमे बाजी में उलझाने का षड्यंत्र कर रहा है। जाट ने कहा कि इस वर्ष बीसलपुर बांध में 24.311 टीएमसी पानी उपलब्ध है, जो कुल भराव क्षमता का 73.33% है। इस तरह प्रशासन का दायित्व है कि वह आनुपातिक रूप से फसलों की सिंचाई के लिए 5.86 टीएमसी पानी उपलब्ध कराए। लेकिन, प्रशासन 4 टीएमसी पानी भी सिंचाई के लिए नहीं देना चाहता है।
256 गांवों का अधिकार है सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी
टोंक जिले के 256 गांव के किसानों को 81,800 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने का दायित्व जिला प्रशासन पर है । बांध में 33.15 टीएमसी पानी होने पर 8 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए आरक्षित रखने का सरकार ने ही प्रावधान किया हुआ है। टोंक जिले के किसानों को यह भी आशंका है कि इस वर्ष पानी का अधिकार छूट गया तो भविष्य में उन्हें पानी से दूर भी किया जा सकता है। वर्ष 2017-18 में भी बांध में पानी की उपलब्धता 27.115 टीएमसी थी, जो कुल भराव की 81.79% थी। उसके अनुपात में किसानों को 6.54 टीएमसी पानी प्राप्ति का अधिकार था, किंतु उस वर्ष 2.54 टीएमसी की कटौती कर 4 टीएमसी ही दिया गया था। प्रशासन का यह रवैया पानी की पर्याप्त उपलब्धता से किसानों को दूर करने की आशंका की पुष्टि करता है।